________________
मानव जीवन को विकसित एवं प्रगतिशील बनाने के लिए श्रद्धा और तर्क दोनों के समान विकास की आवश्यकता है। श्रद्धा की उपेक्षा करके केवल तर्क के आधार पर भारतीय संस्कृति खड़ी नहीं रह सकती । और तर्क विहीन श्रद्धा भी भारतीय संस्कृति को प्रेरणा प्रदान नहीं कर सकती । भारतीय संस्कृति के अनुसार श्रद्धा का पर्यवसान तर्क में होता है और तर्क का पर्यवसान श्रद्धा से होता है । यद्यपि धर्म का मुख्य आधार श्रद्धा है और दर्शन का मुख्य आधार तर्क है किन्तु यह सब कुछ होते हुए भी भारतीय संस्कृति में हृदय को बुद्धि बनना पड़ता है और बुद्धि को हृदय बनना पड़ता है। हृदय की प्रत्येक धड़कन में बुद्धि का विमल प्रकाश अपेक्षित रहता है । और बुद्धि की प्रत्येक सूझ में श्रद्धा के संबल की आवश्यकता रहती है । यदि श्रद्धा और तर्क में समन्वय स्थापित नहीं किया गया तो इन्सान का दिमाग आकाश में घूमता रहेगा और उसका दिल धरती के खण्डहरों में दब जायेगा ।
237