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व्यवस्था चाहे व्यक्तिवादी हो या समाजवादी, उसका मूल उद्देश्य एक ही है- व्यक्ति और समाज का विकास । व्यक्तिवादी व्यवस्था में समाज का तिरस्कार नहीं हो सकता और समाजवादी व्यवस्था में व्यक्ति की सत्ता से इन्कार नहीं किया जा सकता । समाज का विकास व्यक्ति पर आश्रित है, तो व्यक्ति का विकास भी समाज पर आधारित रहता है। दोनों एक-दूसरे के विकास में परम सहयोगी तथा सहकारी हैं तथा अपने आप में दोनों बड़े हैं ।
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