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मेरे विचार में सबसे सुखी समाज वह है, जिसमें प्रत्येक व्यक्ति परस्पर हार्दिक सम्मान की भावना रखता है और दूसरे के जीवन का समादर करता है। याद रखिए, समाज के विकास में ही आपका अपना विकास है । और समाज के पतन में अपका अपना पतन है । समाज का विकास करना यह प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य हो जाता है। जब तक व्यक्ति में सामाजिक भावना का उदय नहीं होता है, तब तक वह अपने आप को बलवान नहीं बना सकता । एक बिंदु जल का क्या कोई अस्तित्व रहता है ? किन्तु वही बिन्दु जब सिंधु में मिल जाता है तब क्षुद्र से विराट हो जाता है। इसी प्रकार क्षुद्र व्यक्ति समाज में मिलकर विराट बन जाता है।
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