________________
तो वास्तविक इच्छाएँ बहुत कम होती है । वे अधिकांश कष्ट और तो इतनी अल्प होती हैं कि उनकी पूर्ति के
परेशानियाँ तो | लिए कोई विशेष परेशानी की जरूरत नहीं अनावश्यक और | होती । अधिकांश कष्ट और परेशानियाँ तो
प्रदर्शनकारी । अनावश्यक और प्रदर्शनकारी आकांक्षाओं के आकांक्षाओं के कारण ही उत्पन्न होती हैं । कारण ही उत्पन्न | धन की पूजा या व्यक्ति की? होती है।
एक दिन एक बहुत ही धनी-मानी सज्जन
दर्शनार्थ आए । बात-चीत के प्रसंग में एक विचार आया कि आज मानव की पूजा उतनी नहीं होती, जितनी उसके
अलंकार, धन, वैभव, वेशभूषा और पद की होती है । उसने कहा कि जब मैं एक साधारण गरीब आदमी था, मेरे पास धन जैसा कुछ नहीं था, तो नमस्कार पाने की तो कल्पना ही क्या की जा सकती है, मेरे नमस्कार का उत्तर भी मुझे नहीं मिलता था । अब जब कि मेरे पास धन है, ऐश्वर्य है, तो जो भी मिलता है, वही नमस्कार करता है, मैं उसके उत्तर में कभी-कभी कह देता हूँ कि 'हाँ, भाई, कह दूंगा ।' एक दिन किसी ने मुझसे पूछा कि- 'किससे कह दोगे ?' मैंने उत्तर दिया कि 'यह नमस्कार मुझे नहीं किया जाता है । मेरे धन को किया जाता है । यदि मुझे किया जाता, तो उस समय भी किया जाता, जब मेरे पास धन नहीं था । तब तो मेरे नमस्कार का प्रत्युत्तर भी नहीं मिलता था । अतः मैं यह नमस्कार नोटों के रूप में तिजोरी में विराजमान लक्ष्मी को कह देने की बात करता हूँ।' इस प्रकार समाज ने व्यक्ति को कोई भी महत्त्व न देकर धन और ऐश्वर्य को ही महत्त्व दे रखा है ।
298