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गमग
जिस कमल में अथवा जिस कुसुम में वस्ततः वही जीवन सुन्दर सुगंध नहीं होती, उसका जन जीवन में धन्य है. जो प्रकाश न कुछ महत्व होता है और न गौरव पाता
है । कल्पना कीजिए किसी फूल में रूप भी करता है और कुसुम
हो सौन्दर्य भी हो पर सुरभि न हो, तो वह
| जन-मन के लिए ग्राह्य नहीं हो सकता । रहता है। वस्तुतः वही जीवन धन्य है, जो प्रकाश के
समान जगमग करता है और कुसुम के समान
सुरभित रहता है। चार प्रकार के फूल :
___ भगवान् महावीर ने स्थानांग सूत्र में चार प्रकार के पुष्पों का वर्णन किया है- एक पुष्प वह है, जिसमें रूप व सौन्दर्य तो होता है परन्तु सुरभि नहीं होती । दूसरा पुष्प वह है, जिसमें सुरभि तो होती है पर स्वरूप और सौन्दर्य नहीं रहता । तीसरा पुष्प वह होता है, जिसमें अद्भूत रूप भी होता है और अद्भुत सुरभि भी रहती है । चौथे प्रकार का पुष्प वह है, जिसमें न सौन्दर्य होता है और न सुरभि होती है । उदाहरण के लिए- टेसू फूल को लें, उसमें रूप सौन्दर्य और आकर्षण तो रहता है परन्तु उसमें सुगंध नहीं होती । वकुल पुष्प को लीजिए, उसमें मादक सुगंध का भण्डार भरा रहता है, अपनी सुरभि से वह दूर-दूर के भ्रमरों को आकर्षित करता रहता है और दूरस्थ मनुष्य के मन को भी वह मुग्ध कर लेता है । किन्तु जैसे ही मनुष्य उसके समीप पहुंचता है उसके रूप को देखकर वह मुग्ध नहीं हो पाता । जपा पुष्प को लीजिए, उसमें रूप और सौन्दर्य दोनों का समावेश हो जाता है । गुलाब के फूल
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