________________
त्याग का मार्ग:
कीड़ा इसलिए इच्छा नहीं कर पाता है कि उसमें चिंतन शक्ति की कमी है। कल्पना करो, कीड़े को यदि संकल्प शक्ति मिली होती, वह आदमी की तरह सोच सकता, विचार कर सकता, तब उसकी आत्मा से पूछते कि सोचो और विचार करो तुम्हें क्या चाहिए ? जो चाहिए वह तुम्हें मिलेगा, तो उस समय उसकी इच्छाएँ एक चक्रवर्ती की इच्छाओं से कम नहीं होती। वर्तमान में उसके पास विचार करने की शक्ति कम है, अतः अनर्गल इच्छाएँ अंदर में सोई पड़ी हैं, शक्ति के अभाव में कोई किसी वस्तु को प्राप्त नहीं कर सकता या उसका उपयोग नहीं कर सकता तो यह उसका त्याग नहीं कहला सकता, विरति नहीं हो सकती । पराधीनता और विवशता की स्थिति के कारण वस्तु का असेवन त्याग कैसे हो सकता है ?
___ कल्पना करो एक आदमी बीमार है, पेट में अलसर है, संग्रहणी है या और कुछ भी है, वह मिष्टान्न भोजन नहीं पचा सकता, दूध भी हजम नहीं कर सकता और मेवा आदि भी नहीं खा सकता । डॉक्टर ने चेतावनी दे दी है कि यदि ये सब चीजें खाओगे, तो अधिक बीमार हो जाओगे फिर तबीयत को संभालना कठिन हो जाएगा, इसलिए वह सादा
और हल्का भोजन करता है। क्या आप उसे त्यागी कहेंगे ? आप कहेंगे नहीं, यह भी कोई त्याग है। उसने जो छोड़ रखा है, वह पाचन-शक्ति के अभाव में छोड़ा है । पचता नहीं, हजम नहीं होता, इसलिए नहीं खाता । इसका यह अर्थ हुआ कि यह भोग के लिए भोग का त्याग है, त्याग के लिए नहीं । वह स्वस्थ होकर अधिक भोग करना चाहता है । परिस्थिति ने उसे विवश कर दिया है, इसलिए छोड़ना पड़ा है । खाने की इच्छा नहीं मरी है, वह तो अब भी बहुत कुछ खाना चाहता है । पर
213