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अपने दुश्मन को भी प्यार करो और जो तुम्हें सताते हैं, उनके लिए भी प्रार्थना करो ।” यदि तुम उन्हीं से प्रेम करो, जो तुमसे प्रेम करते हैं, तो तुमने कौन सी बड़ी बात की ? ।
यहूदी धर्म में कहा है- “किसी आदमी के आत्म-सम्मान को चोट नहीं पहुँचानी चाहिए । लोगों के सामने किसी आदमी को अपमानित करना उतना ही बड़ा पाप है, जितना कि उसका खून कर देना ।" प्राणिमात्र के प्रति निर्वैर भाव रखने की प्रेरणा देते हुए यह कहा है कि "अपने मन में किसी के प्रति वैर या दुर्भाव मत रखो ।”
पारसी धर्म के महान् प्रवर्तक महात्मा जरथुम्न का कथन है कि “जो सबसे अच्छे प्रकार की जिन्दगी गुजारने से लोगों को रोकते हैं, अटकाते हैं और पशुओं को मारने की सिफारिश करते हैं, उनको अहुर-मज्द बुरा समझते हैं।"
ताओ धर्म के महान् नेता-लाओत्से का सन्देश है- “जो लोग मेरे प्रति अच्छा व्यवहार नहीं करते, उनके प्रति भी मैं अच्छा व्यवहार करता
कोगफ्यूत्सी ने कनफ्यूशियस धर्म का प्रवर्तन करते हुए कहा था“जो चीज तुम्हें नापसन्द है, वह दूसरों के लिए हरगिज मत करो ।”
कहने का तात्पर्य यह है कि विश्व का ऐसा कौन सा धर्म है, जो खून-खराबे की दाद देता है । प्रायः सभी ने एक स्वर से प्राणी-रक्षा, प्राणी-मैत्री एवं 'आत्मवत् सर्वभूतेषु' का संदेश दिया है ।
किन्तु खेद की बात है कि आज विश्व आँख मूंद कर भयंकर हिंसा को प्रश्रय दे रहा है । लाखों ही निरपराध व्यक्ति गाजर-मूली की तरह काटकर समाप्त किए जा रहे हैं । किसी को संगीनों पर उछाला जा
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