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सुख और आनन्द का मार्ग यही है कि जो तुम्हें प्राप्त है, अपने प्रारब्ध एवं पुरुषार्थ से जीवन में जो कुछ पा सके हो, उसी में आनन्द की अनुभूति करो । इच्छाओं को वहीं पर केन्द्रित करो । जो असंभव है, अशक्य है, जिसे प्राप्त नहीं कर सकते और जिसे प्राप्त करके जीवन का कुछ लाभ नहीं होने वाला है, उसकी चिन्ता छोड़ दो।
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