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चल रही है, वह एक प्रकार की दब्बू वृत्ति है,
| भय व लज्जा से जकड़ा हुआ नकली वैराग्य दृष्टि बदलने से
है । इस वृत्ति में आज परिवर्तन लाने की सृष्टि बदल
आवश्यकता है और वृत्ति में परिवर्तन लाने जाती है।
के लिए यह आवश्यक है कि दृष्टि में 6
परिवर्तन आए । दृष्टि बदलने से सृष्टि बदल
जाती है। आपका बच्चा कोई गलत कार्य कर रहा है । कल्पना करो कि बीड़ी पी रहा है, तो आप उसे देखते ही धमकाएँगे और यदि आप कुछ समझदार है तो धीरे से कहेंगे- 'अरे ! ऐसा करता है, लोग क्या कहेंगे?'
_ 'लोग क्या कहेंगे'- यह जो तर्क है, वह उसकी वृत्ति को बदलता नहीं, बल्कि दबाता है और उसमें भय की वृत्ति पैदा करता है । आपने लोगों का भय उसके मन में पैदा किया, अब वह लोगों से छिपकर वही काम करेगा । बुराई को चोरी-छिपे करेगा। आप अवश्य ही उसे नैतिक बनाना चाहते है, किन्तु आपके तर्क और हेतु उसमें नैतिक आधार तैयार नहीं कर सकते ।
सामाजिक जीवन में ऐसे सैंकड़ों रीति-रिवाज चले आ रहे हैं, जिनमें आपका विश्वास नहीं है, आप उन्हें बुरा समझते हैं, किन्तु फिर भी निभाए जा रहे हैं। किस आधार पर ? यही कि लोग क्या कहेंगे ?
बच्चे को लोक-भय दिखाकर बुराई से बचाना चाहते हैं और आप स्वयं लोक-भय से बुराई को निभाते जा रहे हैं । इस प्रकार दो पाटों के बीच आप पिसते जा रहे हैं ।
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