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जिस दिन इच्छा पर विजय प्राप्त कर ली जाएगी, उस दिन और ठीक उसी दिन, उसी घड़ी अन्तर जीवन में आनन्द का एक अक्षय स्रोत फूट निकलेगा । जिसके शान्त-निर्मल प्रवाह में आत्मा को वह शान्ति प्राप्त होगी और वह आनन्द प्राप्त होगा, जिसका अन्तिम छोर कभी आएगा ही नहीं । भौतिक सुख के छोर होते हैं, आत्मिक आनन्द का कोई छोर नहीं होता । वह सदा शाश्वत है, अनन्त है।
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