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और कमाते जाना ही उसका काम रह जाता है । उसके जीवन का ध्येय जोड़ना है, और वह जोड़ना क्यों है, यह बात उससे न पूछिए; यह उसे मालूम नहीं । केवल संग्रह ही उसके जीवन का लक्ष्य है ।
___ जो अपने आपको भूल जाता है, वह परिवार को कैसे याद रखेगा ? परिवार में कोई बीमार है, तो उसे चिकित्सा कराने का अवकाश नहीं है । बच्चों की शिक्षा के सम्बन्ध में सोचने का उसे अवकाश नहीं है । पत्नी की बीमारी का इलाज कराने का उसके पास समय नहीं है । इस प्रकार जब वह परिवार का ही पालन-पोषण नहीं कर सकता, तब समाज और राष्ट्र की तो बात ही दूर ? उसके लिए इनका मानों अस्तित्व ही नहीं है। और यह कितनी विचित्र बात है । यह एक महान् आश्चर्य है।
हमने एक जगह चौमासा किया । जहाँ हम ठहरे थे, पास ही एक बड़ी हवेली थी । उसके मालिक विदेश में रहते थे और हवेली की देख-रेख के लिए एक पहरेदार रहता था । उसको वेतन मिलता था और कुछ लोग कहते थे कि उसकी अपनी निजी पूँजी भी है; लेकिन दर्शनार्थी आते थे, तो उनसे भी पैसा माँगता था और कहता था कि मेरी स्थिति खराब है।
वह बाजार से चने ले आता और हमारे सामने बैठकर खाता, जिससे कि हमें उसकी स्थिति का ध्यान आ जाए ! हमारे पूछने पर कहता- क्या करूँ महाराज ! कुछ खाने को नहीं है ।
पहले तो हमारे मन में भी दया आई कि यह बेचारा कितना गरीब है ! इसकी हालत कितनी खराब है कि बुढ़ापे में भी चने चबाने पड़ते हैं ! फटे-पुराने कपड़े पहनने पड़ते हैं ! पर बाद में मालूम हुआ
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