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कि इसकी इस दशा का कारण गरीबी नहीं,
कंजूसी है । निर्धनता बुरी नहीं, कृपणता निर्धनता बुरी नहीं,
| बुरी है। कृपणता बुरी है।
| थोड़े दिन बाद ही वह बीमार पड़
| गया । हवेली की पौली में पड़ा रहा । न कुछ दवा ही ली और न कुछ इलाज ही कराया । वह कभी बेहोश हो जाता और कभी होश में आ जाता । उसके आगे-पीछे भाइयों ने कहाइन्तजाम करो, इसका अन्तिम समय निकट है ।
फिर कुछ भाइयों ने सोचा- मरने को तो यह मरेगा और फिर हमारी आफत आ जाएगी ! सरकार कहेगी इसका धन कौन ले गया ?
यह सोचकर उन्होंने सरकार को खबर दे दी । खबर पाकर तहसीलदार आया और उसने ताला तोड़ा तो, उसके पास पाँच हजार की सम्पत्ति निकली ! कुछ नकद और कुछ जेवर था । तहसीलदार भी चकित रह गया । इतनी सम्पत्ति इकट्ठी कर रखी है और हाल यह है ।
तहसीलदार ने कहा- जितना दान करना हो, कर दो; पीछे जो सम्पत्ति रहेगी, उसका हम इन्तजाम करेंगे ।
लोगों ने भी प्रेरणा दी- भाई, तुम्हारे आगे-पीछे कोई नहीं है । अन्तिम समय आ पहुँचा है । जो कुछ करना चाहो, कर लो । यह अवसर फिर कभी आने वाला नहीं ।।
वह चिढ़कर कहने लगा- क्या मुझे आज ही मार डालना चाहते हो ? जिन्दा रहूँगा तो क्या खाऊँगा ? लोगों ने कहा- अरे, अभी तक क्या खाया है ? जो अब तक
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