________________
बुद्ध के सामने हीरों और मोतियों के रूप में लाखों की सम्पत्ति आई और उन्होंने उस पर अपना हाथ रख दिया । उसके बाद एक बुढ़िया आई, वह मालिन थी। उसके पास मुश्किल से आधा अनार बचा हुआ था । बुढ़िया वही अनार लेकर आई और उसने ज्यों ही वह भेंट के रूप में रखा कि बुद्ध ने उसके ऊपर दोनों हाथ रख दिए ।
बड़े-बड़े धनी वहाँ मौजूद थे और वे लाखों के जवाहरात समर्पित कर चुके थे । अपनी भेंट की महत्ता का अनुभव करके वे अकड़े
__ हुए बैठे थे । उन्होंने बुद्ध का यह व्यवहार
देखा, तो हैरान और चकित रह गए । उन्होंने बड़े से बड़े दान का
कहा- यह क्या हो गया ? हमने इतना बड़ा मोल हो सकता है,
दान दिया, तो उस पर केवल हाथ रखा और पर सर्वस्व-दान
इस बुढ़िया के आधे के आधे अनार के टुकड़े अनमोल है।
पर दोनों हाथ रख दिए । इसका क्या कारण
है । ऐसा क्यों किया ? आखिर किसी ने पूछ लिया- भदन्त ! इस बुढ़िया के इस तुच्छ दान को इतना महत्त्व क्यों मिला है ?
बुद्ध ने कहा- तुम अभी समझे नहीं । तुम्हारे पास तो इस धन को देने के बाद भी बहुत-सा धन बच गया होगा; परन्तु इस बेचारी के पास क्या बचा है ? इसने तो आधे अनार के रूप में अपना सर्वस्व ही मुझे सौंप दिया है । बड़े से बड़े दान का मोल हो सकता है, पर सर्वस्व-दान अनमोल है । बुढ़िया के इस सर्वस्व-दान की तुलना साम्राज्य-दान से भी नहीं की जा सकती । इसलिए मैंने उस पर दोनों हाथ रखे हैं । इसलिए मैं कहता हूँ कि वस्तु मुख्य चीज नहीं है, वरन् उसके
165