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है कि खून के कपड़े को खून से ही साफ करने का प्रयास करता आया है । परन्तु यह कैसे हो सकता है ?
आग जल रही है और उसके ऊपर दूध गरम करने के लिए रख छोड़ा है । जब दूध गरम होता है, तब उसमें उफान आता है और वह नीचे गिरने लगता है। नीचे गिरने लगता है, तो पानी के ठंडे छींटे दिये जाते हैं और वह शान्त हो जाता है। थोड़ी ही देर में फिर दूध उफनने लगता है, तो फिर छींटे दिए जाते हैं, मगर इस प्रकार ठंडे छींटे दे-देकर दूध को कब तक शान्त रखा जाएगा ? आग जल रही है, तो दूध को उफनना ही है । उसे शान्त नहीं किया जा सकता। दूध को शान्त करने का तरीका आग को शान्त कर देना ही है ।
इस पर पंजाब के एक भाई की कहानी मुझे याद आ रही हैकुछ ऊँट वाले थे और नित्य की भाँति उस दिन भी वे ऊँटों पर माल लाद कर चले । संध्या हुई, अंधकार होने लगा तो उन्होंने एक मैदान में पड़ाव डाला । ऊँटों पर से बोरियाँ उतार दी गयीं । उनमें से एक आदमी ने सोचा- रात का समय है, अन्धेरा है । नींद आ गई और कोई बोरी उठा ले गया, तो मुश्किल हो जाएगी। यह सोचकर उसने बोरी में रस्सा बांधकर उसे अपने पैरों से बांध लिया और सो गया ।
आधी रात के करीब चोर आए और संयोगवश उसी की बोरी पर उन्होंने हाथ डाला । वे बोरी सरकाने लगे तो वह जग गया और बड़बड़ाने लगा- अरे कौन है ? उसके साथियों ने सोचा- सोते में, छाती पर हाथ पड़ गया है और इसी कारण बड़बड़ा रहा है । अतएव उन्होंने
आँखें मींचे-मींचे कहा- राम-राम कर । तब वह बोला- घसीट मिटे तो राम-राम करूँ, घसीट न मिटे तो राम-राम कैसे हो ?
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