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परिमित है और उसका नवीन उत्पादन नहीं
6 हो रहा है और उपभोक्ता अधिक हैं, तब
छीना-झपटी तक समस्या कैसे हल होगी ? तो, मैं कह
समस्या का कोई रहा हूँ कि छीना-झपटी समस्या का कोई
स्थायी और सही स्थायी और सही हल नहीं है।
हल नहीं है । दुर्भाग्य से भारतवर्ष में उत्पादन करने पर ध्यान नहीं दिया जाता है । संघर्ष से लड़ा नहीं जाता है, और अपने हाथों जीवन-निर्माण करने की कला नहीं सिखाई जाती है । यह कला सिखाई गई होती, तो जो सम्पत्ति प्राप्त की जाती, वह सम्पत्ति खुद की न बन कर परिवार की, समाज की या राष्ट्र की होती ।
दुर्योधन ने उपार्जन करने की कला सीखी नहीं और सीखने का प्रयत्न भी किया नहीं, तो उसने अपने भाइयों का साम्राज्य छीन लिया । इस प्रकार परिग्रह में से जुआ, अन्याय और अत्याचार उभर कर आया । और उसका परिणाम कितना भयंकर हुआ । युद्ध का परिणाम होता है, विनाश ।
कृष्ण, दुर्योधन के पास जाते हैं और एक दूत के रूप में खड़े हो जाते हैं । कृष्ण कोई साधारण व्यक्ति नहीं थे । वे संसार के महान् नायक थे और उनकी भृकुटी से संसार में भूकम्प आ सकता था । वे अपनी मान-मर्यादा की परवाह न करके एक साधारण व्यक्ति की तरह, दूत के रूप में जाकर खड़े हो जाते हैं, और भिक्षा के लिए पल्ला पसार देते हैं ।
मैं समझता हूँ, समय-समय पर अनेक राजनीतिज्ञों ने अनेक भाषण दिये हैं, पर कृष्ण का वह भाषण एकदम अनूठा था । वह इतिहास
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