Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 01 Stahanakvasi
Author(s): Shyamacharya, Madhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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प्रज्ञापना का है। इसका सम्पादनकार्य सरल नहीं अपितु कठिन और कठिनतर है पर परम आह्लाद है कि वाग् देवता के वरद पुत्र श्री ज्ञानमुनिजी ने इस महान् कार्य को सम्पन्न किया है। मुनिश्री का प्रकाण्ड पाण्डित्य यत्र-तत्र मुखरित हुआ है। उन्होंने गम्भीर और सूक्ष्म विषय को अपने चिन्तन की सूक्ष्मता और तीक्ष्णता से स्पर्श किया है जिससे विषय विद्वानों के लिए ही नहीं, सामान्य जिज्ञासुओं के लिए भी हस्तामलकवत् हो गया है। उन्होंने प्रज्ञापना का सम्पादन और विवेचन कर भारती के भंडार में एक अनमोल भेंट समर्पित की है। तदर्थ वे साधुवाद के पात्र हैं। साथ ही इसमें पण्डित शोभाचंद्रजी भारिल्ल का श्रम भी मुखरित हो रहा
प्रज्ञापना की प्रस्तावना में बहुत ही विस्तार के साथ लिखना चाहता था, क्योंकि प्रज्ञापना में ऐसे अनेक मौलिक विषय हैं जिन पर तुलनात्मक दृष्टि से चिंतन करना आवश्यक था, पर अस्वस्थ हो जाने के कारण चाहते हुए भी नहीं लिख सका। परमश्रद्धेय सद्गुरुवर्य उपाध्याय श्री पुष्करमुनि महाराज का मार्गदर्शन भी मेरे लिए अतीव उपयोगी रहा है।
मुझे आशा और दृढ़ विश्वास है कि प्रज्ञापना का यह संस्करण प्रबुद्ध पाठकों के लिए अत्यन्त उपयोगी सिद्ध होगा। वे इसका स्वाध्याय कर अपने ज्ञान में अभिवृद्धि करेंगे। अन्य आगमों की तरह यह आगम भी जन-जन के मन को मुग्ध करेगा।
—देवेन्द्रमुनि शास्त्री जैन स्थानक मदनगंज-किशनगढ़ विजयदशमी १३ अक्टूबर १९८३
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