Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 01 Stahanakvasi
Author(s): Shyamacharya, Madhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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[प्रज्ञापना सूत्र [४१२-२ उ.] गौतम! उनकी जघन्य और उत्कृष्ट स्थिति अन्तर्मुहूर्त की है । [३] सोहम्मे कप्पे अपरिग्गहियाणं पज्जत्तियाणं देवीणं पुच्छा । गोयमा! जहण्णेणं पलिओवमं अंतोमुहत्तूणं, उक्कोसेणं पण्णासं पलिओवमाइं अंतोमुत्तूणाई।
[४१२-३ प्र.] भगवन् ! सौधर्मकल्प में अपरिगृहीता पर्याप्तक देवियों की स्थिति कितने काल की कही गई है ?
[४१२-३ उ.] गौतम! (उनकी स्थिति) जघन्य अन्तर्मुहूर्त कम एक पल्योपम की और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त कम पचास पल्योपमों की है।
४१३. [१] ईसाणे कप्पे देवाणं पुच्छा । गोयमा! जहण्णेणं सातिरेगं पलिओवमं, उक्कोसेणं सातिरेगाइं दो सागरोवमाई। [४१३-१ प्र.] भगवन् ! ईशानकल्प में देवों की स्थिति कितने काल की कही गई है ?
[४१३-१ उ.] गौतम! जघन्य एक पल्योपम से कुछ अधिक की और उत्कृष्ट कुछ अधिक दो सागरोपम की है।
[२] ईसाणे कप्पे अपज्जत्ताणं देवाणं पुच्छा। गोयमा! जहणणेण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहत्तं। [४१३-२ प्र.] भगवन् ! ईशानकाल में अपर्याप्तक देवों की स्थिति कितने काल की कही गई है ? [४१३-२ उ.] गौतम! उनकी जघन्य और उत्कृष्ट स्थिति अन्तर्मुहूर्त की है। [३] ईसाणे कप्पे पज्जत्ताणं देवाणं पुच्छा।
गोयमा! जहण्णेण सातिरेगं पलिओवमं अंतोमुहुत्तूणं, उक्कोसेणं सातिरेगाइं दो सागरोवमाइं अंतोमुहुत्तूणाई।
[४१३-३ प्र.] भगवन्! ईशानकल्प के पर्याप्तक देवों की स्थिति कितने काल की कही गई है ? __ [४१३-३ उ.] गौतम! जघन्य अन्तर्मुहूर्त कम कुछ अधिक एक पल्योपम की है और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त कम दो सागरोपम से कुछ अधिक की है।
४१४. [१] ईसाणे कप्पे देवीणं पुच्छा। गोयमा! जहणणेणं सातिरेगं पलिओवम, उक्कोसेणं पणपण्णं पलिओवमाइं। [४१४-१ प्र.] भगवन् ! ईशानकल्प में देवियों की स्थिति कितने काल की कही गई है ?
[४१४-१ उ.] गौतम! जघन्य एक पल्योपम से कुछ अधिक की और उत्कृष्ट पचपन पल्योपम की है।
[२] ईसाणे कप्पे देवीणं अपज्जत्तियाणं पुच्छा । गोयमा! जहण्णेण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहत्तं ।