Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 01 Stahanakvasi
Author(s): Shyamacharya, Madhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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३६६ ]
[ प्रज्ञापना सूत्र
[४२७-२ उ.] गौतम! जघन्य भी और उत्कृष्ट भी अन्तर्मुहूर्त की है।
[३] हेट्ठिमहेट्ठिमपज्जत्तदेवाणं पुच्छा ।
गोयमा! जहण्णेणं बावीसं सागरोवमाइं अंतोमुहुत्तूणाई, उक्कोसेणं तेवीसं सागरोवमाई अंतोमुहुत्तूणाई ।
[४२७-३ प्र.] भगवन्! अधस्तन - अधस्तन ग्रैवेयक के पर्याप्तक देवों की स्थिति कितने काल की कही गई है ?
[४२७-३ उ.] गौतम! जघन्य अन्तर्मुहूर्त्त कम बाईस सागरोपम की और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त कम तेईस सागरोपम की है ।
४२८. [ १ ] हेट्ठिममज्झिमगेवेज्जदेवाणं पुच्छा ।
गोयमा ! जहणेणं तेवीसं सागरोवमाई, उक्कोसेणं चउवीसं सागरोवमाई ।
[४२८-१ प्र.] भगवन्! अधस्तन - मध्यम ग्रैवेयक देवों की स्थिति कितने काल तक की कही गई
है ?
[४२८-१ उ.] गौतम! जघन्य तेईस सागरोपम की और उत्कृष्ट चौवीस सागरोपम की है। [ २ ] हेट्ठिममज्झिमअपज्जत्तयदेवाणं पुच्छा ।
गोयमा ! जहणणेण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तं ।
[४२८-२ प्र.] भगवन् ! अधस्तन-मध्यम ग्रैवेयक अपर्याप्तक देवों की स्थिति कितने काल तक की कही गई है ?
[४२८-२ उ.] गौतम! जघन्य भी और उत्कृष्ट भी अन्तर्मुहूर्त की है ।
[ ३ ] हेट्ठिममज्झिमगेवेज्जदेवाणं पज्जत्ताणं पुच्छा ।
गोयमा! जहण्णेणं तेवीसं सागरोवमाइं अंतोमुहुत्तूणाई, उक्कोसेणं चउवीसं सागरोवमाइं अंतोमुहुत्तूणाई ।
[४२८-३ प्र.] भगवन् ! अधस्तन - मध्यम ग्रैवेयक पर्याप्तक देवों की स्थिति कितने काल तक की कही गई है ?
[४२८-३ उ.] गौतम! जघन्य अन्तर्मुहूर्त्त कम तेईस सागरोपम की तथा उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त्त कम चौवीस सागरोपम की है ।
४२९. [ १ ] हेट्ठिमउवरिमगेवेज्जगदेवाणं पुच्छा ।
गोयमा! जहण्णेणं चउवीसं सागरोवमाई, उक्कोसेणं पणुवीसं सागरोवमाई ।
[४२९ - १ प्र.] भगवन्! अधस्तन- उपरितन ( सबसे नीचे के त्रिक में ऊपर वाले) ग्रैवेयक देवों की स्थिति कितने काल तक की कही गई है ?