Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 01 Stahanakvasi
Author(s): Shyamacharya, Madhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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पांचवा विशेषपद (पर्यायपद)]
[४४९ जघन्यादियुक्त वर्णादियुक्त पुद्गलों की पर्याय-प्ररूपणा
५३८. [१] जहण्णगुणकालयाणं परमाणुपोग्गलाणं पुच्छा । गोयमा! अणंता। से केणठेणं?
गोयमा! जहण्णगुणकालए परमाणुपोग्गले जहण्णगुणकालगस्स परमाणुपोग्गलस्स दव्वट्ठयाए तुल्ले, पदेसट्टयाएतुल्ले, ओगाहणट्ठयाए तुल्ले, ठितीए चउट्ठाणवडिते, कालवण्णपज्जेवेहिं तुल्ले, अवसेसा वण्णा णत्थि, गंध-रस-फासपज्जवेहि य छट्ठाणवडिते।
[५३८-१ प्र.] भगवन्! जघन्यगुण काले परमाणुपुद्गलों के कितने पर्याय कहे गए हैं ? [५३८-१ उ.] गौतम! (उनके) अनन्त पर्याय (कहे हैं।)
[प्र.] भगवन् ! किस कारण से ऐसा कहा जाता है कि जघन्यगुण काले परमाणुपुद्गलों के अनन्त पर्याय हैं ?
__ [उ.] गौतम! एक जघन्यगुण काला परमाणुपुद्गल, दूसरे जघन्यगुण काले परमाणुपुद्गल से द्रव्य की अपेक्षा से तुल्य है, प्रदेशों की अपेक्षा से षट्स्थानपतित है, अवगाहना की दृष्टि से तुल्य है, स्थिति की अपेक्षा से चतुःस्थानपतित है, कृष्णवर्ण के पर्यायों की अपेक्षा से तुल्य है, शेष वर्ण नहीं होते तथा गन्ध, रस और स्पर्शों की अपेक्षा से षट्स्थानपतित है।
[२] एवं उक्कोसगुणकालए वि। [५३८-२] इसी प्रकार उत्कृष्टगुण काले (परमाणुपुद्गलों की पर्याय-प्ररूपणा समझनी चाहिए।) [३] एवमजहण्णमणुक्कोसगुणकालए वि। णवरं सट्ठाणे छट्ठाणवडिते।
[५३८-३] इसी प्रकार मध्यमगुण काले परमाणुपुद्गलों की भी पर्याय-प्ररूपणा समझ लेनी चाहिए। विशेष यह है कि स्वस्थान में षट्स्थानपतित है।
५३९. [१] जहण्णगुणकालयाणं भंते? दुपएसियाणं पुच्छा । गोयमा! अणंता। से केणठेणं ?
गोयमा! जहण्णगुणकालए दुपएसिए जहण्णगुणकालगस्स दुपएसियस्स दव्वट्ठयाए तुल्ले, पएसट्ठयाए तुल्ले, ओगाहणट्ठयाए सिय हीणे सिए तुल्ले सिय अब्भतिते- जति हीणे पदेसहीणे, अह अब्भतिए पएसमब्भतिए; ठितीए चउट्ठाणवडिते, कालवण्णपज्जवहिं तुल्ले, अवसेसवण्णादिउवरिल्ल-चउफासेहि य छट्ठाणवडिते।
[५३९-१ प्र.] भगवन् ! जघन्यगुण काले द्विप्रदेशिक स्कन्धों के कितने पर्याय कहे गए हैं ? [५३९-१ उ.] गौतम! (उनके) अनन्त पर्याय (कहे हैं।)