Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 01 Stahanakvasi
Author(s): Shyamacharya, Madhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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[प्रज्ञापना सूत्र ५६३. देवगती णं भंते! केवतियं कालं विरहिया उववाएणं पण्णत्ता ? गोयमा! जहण्णेणं एगं समयं, उक्कोसेणं बारस मुहुत्ता। [५६३. प्र.] भगवन् ! देवगति कितने काल तक उपपात से विरहित कही गई है ?
[५६३. उ.] गौतम! (देवगति का उपपातविरहकाल) जघन्य एक समय तक और उत्कृष्ट बारह मुहूर्त तक का है।
५६४. सिद्धगती णं भंते! केवतियं कालं विरहिता सिझणयाए पण्णत्ता ? गोयमा! जहण्णेणं एगं समयं, उक्कोसेणं छम्मासा। [५६४ प्र.] भगवन् ! सिद्धगति कितने काल तक सिद्धि से रहित कही गई है ?
[५६४ उ.] गौतम! (सिद्धगति का सिद्धिविरहित काल) जघन्य एक समय तक और उत्कृष्ट छह महीनों तक का है।
५६५. निरयगती णं भंते! केवतियं कालं विरहिता उव्वट्टणयाए पण्णत्ता ? गोयमा! जहण्णेणं एगं समयं, उक्कोसेणं बारस मुहुत्ता। [५६५ प्र.] भगवन् ! नरकगति कितने काल तक उद्वर्तना से विरहित कही गई है ?
[५६५ उ.] गौतम! जघन्य एक समय तक और उत्कृष्ट बारह मुहूर्त तक (उद्वर्त्तना से विरहित रहती है।)
५६६. तिरियगती णं भंते! केवतियं कालं विरहिता उव्वट्टणयाए पण्णत्ता ? गोयमा! जहण्णेणं एगं समयं, उक्कोसेणं बारस मुहुत्ता। [५६६ प्र.] भगवन् ! तिर्यञ्चगति कितने काल तक उद्वर्तना से विरहित कही गई है ?
[५६६ उ.] गौतम! जघन्य एक समय तक और उत्कृष्ट बारह मुहूर्त तक (उद्ववर्त्तना से विरहित रहती है।)
५६७. मणुयगती णं भंते! केवतियं कालं विरहिया उव्वट्टणाए पण्णत्ता ? . गोयमा! जहण्णेणं एगं समयं, उक्कोसेणं बारस मुहुत्ता। [५६७ प्र.]भगवन्! मनुष्यगति कितने काल उद्वर्तना से विरहित कही गई है ?
[५६७ उ.] गौतम! जघन्य एक समय तक और उत्कृष्ट बारह मुहूर्त तक (उद्वर्त्तना से विरहित कही गई है।)
५६८. देवगती णं भंते! केवतियं कालं विरहिता उव्वट्टणाए पण्णत्ता ? गोयम! जहण्णेणं एगं समयं, उक्कोसेणं बारस मुहत्ता। दारं १॥ [५६८ प्र.] भगवन् ! देवगति कितने काल तक उद्वर्तना से विरहित कही गई है ?
[५६८ उ.] गौतम! जघन्य एक समय तक और उत्कृष्ट बारह मुहुर्त तक (उद्वर्त्तना से विरहित रहती है।) प्रथम द्वार ॥१॥