Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 01 Stahanakvasi
Author(s): Shyamacharya, Madhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 572
________________ छठा व्युत्क्रान्तिपद ] [४७१ ५७४. तमापुढविनेरइया णं भंते! केवतियं कालं विरहिया उववाएणं पण्णत्ता ? गौयमा ! जहण्णेणं एगं समयं, उक्कोसेणं चत्तारि मासा। [५७४ प्र.] भगवन् ! तमः प्रभापृथ्वी के नारक कितने काल तक उपपात से विरहित कहे गए हैं ? [५७४ उ.] गौतम! (वे) जघन्यतः एक समय तक और उत्कृष्टतः चार मास तक (उपपातविरहित रहते हैं।) ५७५. अधेसत्तमापुढविनेरइया णं भंते! केवतियं कालं विरहिया उववाएणं पण्णत्ता ? गोयमा! जहण्णेणं एगं समयं, उक्कोसेणं छम्मासा। [५७५ प्र.] भगवन् ! सबसे नीची तमस्तमा नामक सप्तम पृथ्वी के नैरयिक कितने काल तक उपपात से रहित कहे गए हैं? [५७५ उ.] गौतम! वे एक समय तक और उत्कृष्ट छह मास तक (उपपात से विरहित रहते हैं।) ५७६. असुरकुमारा णं भंते! केवतियं कालं विरहिया उववाएणं पण्णत्ता ? गोयमा! जहण्णेणं एगं समयं, उक्कोसेणं चउव्वीसं मुहत्ता। [५७६ प्र.] भगवन् ! असुरकुमार कितने काल तक उपपात से विरहित कहे गए हैं ? [५७६ उ.] गौतम! (वे) जघन्यतः एक समय तक और उत्कृष्टतः चौबीस मुहूर्त तक (उपपातविरहित रहते हैं।) ५७७. णागकुमारा णं भंते! केवतियं कालं विरहिया उववाएणं पण्णत्ता ? गोयमा! जहण्णेणं एगं समयं, उक्कोसेणं चउव्वीसं मुहत्ता। [५७७ प्र.] भगवन् ! नागकुमार कितने काल तक उपपात से विरहित कहे गए हैं ? [५७७ उ.] गौतम! (उनका उपपातविरहकाल) जघन्य एक समय का और उत्कुष्ट चौबीस मुहूर्त का है। ५७८. एवं सुवण्णकुमाराणं विज्जुकुमाराणं अग्गिकुमाराणं दीवकुमाराणं उदहिकुमाराणं दिसाकुमाराणं वाउकुमाराणं थणियकुमाराण य पत्तेयं जहण्णेणं एग समयं, उक्कोसेणं चउव्वीसं मुहुत्ता। ____ [५७८] इसी प्रकार सुपर्ण(सुवर्ण) कुमार, विद्युत्कुमार, अग्निकुमार, द्वीपकुमार, उदधिकुमार, दिशाकुमार, वायुकुमार और स्तनितकुमार देवों का प्रत्येक का उपपातविरहकाल जघन्य एक समय का तथा उत्कृष्ट चौबीस मुहूर्त का है। ५७९. पुढविकाइया णं भंते! केवतियं कालं विरहिया उववाएणं पण्णत्ता। गोयमा! अणुसमयमविरहियं उववाएणं पण्णत्ता। [५७९ प्र.] भगवन् ! पृथ्वीकायिक जीव कितने काल तक उपपात से विरहित कहे गए हैं ?

Loading...

Page Navigation
1 ... 570 571 572