Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 01 Stahanakvasi
Author(s): Shyamacharya, Madhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 534
________________ पांचवा विशेषपद (पर्यायपद)] [४३३ को अपेक्षा से चतु:स्थानपतित है, वर्णादि तथा उपर्युक्त चार स्पर्शों की अपेक्षा से षट्स्थानपतित है। ५१०. अणंतपएसियाणं पुच्छा। गोयमा! अणंता पज्जवा पण्णत्ता। से केणढेणं भंते! एवं वुच्चति ? गोयमा! अणंतपएसिए खंधे अणंतपएसियस्स खंधस्स दव्वट्ठयाए तुल्ले, पएसट्ठयाए छट्ठाणवडिते, ओगाहणट्ठयाए चउट्ठाणवडिते, ठितीए चउट्ठाणवडिते, वण्ण-गंध-रसफासपज्जवेहिं छट्ठाणवडिते । [५१० प्र.] भगवन् ! अनन्तप्रदेशी स्कन्धों के कितने पर्याय कहे गए हैं ? [५१० उ.] गौतम! उनके अनन्त पर्याय कहे हैं। [प्र.] भगवन्! किस कारण से ऐसा कहा जाता है कि अनन्तप्रदेशी स्कन्धों के अनन्त पर्याय हैं ? [उ.] गौतम! एक अनन्तप्रदेशी स्कन्ध, दूसरे अनन्तप्रदेशी स्कन्ध से द्रव्य की अपेक्षा से तुल्य है, प्रदेशों की अपेक्षा से षट्स्थानपतित (हीनाधिक) है, अवगाहना की अपेक्षा से चतु:स्थानपतित है, तथा वर्ण, गंध, रस और स्पर्श के पर्यायों की अपेक्षा से षट्स्थानपतित है। ५११. एगपएसोगाढाणं पोग्गलाणं पुच्छा । गोयमा! अणंता पज्जवा पण्णत्ता। से केणढेणं भंते! एवं वुच्चति ? गोयमा! एगपएसोगाढपोग्गले एगपएसोगाढस्स पोग्गलस्स दव्वट्ठयाए तुल्ले, पएसट्ठयाए छट्ठाणवडिते, ओगाहणट्ठयाते तुल्ले, ठितीए चउट्ठाणवडिते, वण्णादि-उवरिल्लचउफासेहि य छट्ठाणवडिते। [५११ प्र.] भगवन् ! एक प्रदेश में अवगाढ पुद्गलों के कितने पर्याय कहे गए हैं ? [५११ उ.] गौतम! (उनके) अनन्त पर्याय कहे हैं। [प्र.] भगवन् ! किस कारण से ऐसा कहा जाता है कि एक प्रदेश में अवगाढ पुद्गलों के अनन्त पर्याय हैं ? [उ.] गौतम! एक प्रदेश में अवगाढ एक पुद्गल, दूसरे प्रदेश में अवगाढ पुद्गल से द्रव्य की अपेक्षा से तुल्य है, प्रदेशों की अपेक्षा से षट्स्थानपतित है, अवगाहना की अपेक्षा से तुल्य है, स्थिति की अपेक्षा से चतुःस्थानपतित है, वर्णादि तथा उपर्युक्त चार स्पर्शों की अपेक्षा से षट्स्थानपतित है। ५१२. एवं दुपएसोगाढे वि जाव दसपएसोगाढे। [५१२] इसी प्रकार द्विप्रदेशावगाढ से दसप्रदेशावगाढ स्कन्धों तक के पर्यायों की वक्तव्यता समझ लेना चाहिए।

Loading...

Page Navigation
1 ... 532 533 534 535 536 537 538 539 540 541 542 543 544 545 546 547 548 549 550 551 552 553 554 555 556 557 558 559 560 561 562 563 564 565 566 567 568 569 570 571 572