Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 01 Stahanakvasi
Author(s): Shyamacharya, Madhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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[ ३९५
पांचवा विशेषपद (पर्यायपद ) ]
[प्र.] भगवन् ! किस कारण से ऐसा कहा जाता है कि 'जघन्य अवगाहना वाले नारकों के अनन्त पर्याय हैं ?'
[उ.] गौतम! एक जघन्य अवगाहना वाला नैरयिक, दूसरे जघन्य अवगाहना वाले नैरयिक से द्रव्य की अपेक्षा से तुल्य है, प्रदेशों की अपेक्षा से (भी) तुल्य है; अवगाहना की अपेक्षा से (भी) तुल्य है; ( किन्तु ) स्थिति की अपेक्षा से चतुःस्थान पतित ( हीनाधिक) है, और वर्ण गन्ध, रस और स्पर्श के पर्यायों, तीन ज्ञानों, तीन अज्ञानों और तीन दर्शनों की अपेक्षा से षट्स्थानपतित है ।
[२] उक्कोसोगाहणयाणं भंते! नेरइयाणं केवतिया पज्जवा पण्णत्ता ? गोयमा ! अनंता पज्जवा पण्णत्ता ।
सेकेणट्ठेणं भंते! एवं वुच्चति उक्कोसोगाहणयाणं नेरइयाणं अणंता पज्जवा पण्णत्ता ?
गोयमा! उक्कोसोगाहणए णेरइए उक्कोसोगाहणगस्स नेरइयस्स दव्वट्टयाए तुल्ले, पदेसट्टयाए तुल्ले, ओगाहणट्टयाए तुल्ले, ठितीए सिय हीणे सिय तुल्ले सिय अब्भहिए— जति हीणे असंखेज्जभाग- हीणे वा संखेज्जभागहीणे वा, अह अब्भहिए असंखेज्जइभागअब्भहिए वा संखेज्जभागअब्भहिए वा, वण्ण-गंध-रस- फासपज्जवेहिं तिहिं णाणेहिं तिहिं अण्णाणेहिं तिहिं दंसणेहिं छट्ठाणवडिते ।
[४५५-२ प्र.] भगवन् ! उत्कृष्ट अवगाहना वाले नैरयिकों के कितने पर्याय कहे गए है ? [ ४५५ - २ उ.] गौतम! अनन्त पर्याय कहे गए है ।
[प्र.] भगवन्! ऐसा किस कारण से कहा जाता है कि उत्कृष्ट अवगाहना वाले नैरयिकों के अनन्त पर्याय हैं ?
[3.] गौतम! एक उत्कृष्ट अवगाहना वाला नारक, दूसरे उत्कृष्ट अवगाहना वाले नारक से द्रव्य की अपेक्षा से तुल्य है, प्रदेशों की अपेक्षा से तुल्य है, अवगाहना की अपेक्षा से (भी) तुल्य हैं; किन्तु स्थिति की अपेक्षा से कदाचित् हीन है, कदाचित् तुल्य है, और कदाचित् अधिक है। यदि हीन है तो असंख्यात भाग हीन है या संख्यातभाग हीन है । यदि अधिक है तो असंख्यातभाग अधिक है, अथवा संख्यातभाग अधिक है । वर्ण, गन्ध, रस और स्पर्श के पर्यायों की अपेक्षा से तथा तीन ज्ञानों, तीन अज्ञानों और तीन दर्शनों की अपेक्षा से षट्स्थानपतित ( हीनाधिक) है।
[ ३ ] अजहण्णुक्कोसोगाहणगाणं भंते ! नेरइयाणं केवतिया पज्जवा पण्णत्ता ? गोयमा ! अनंता पज्जवा पण्णत्ता ।
सेकेणट्ठेणं भंते! एवं वुच्चति अजहण्णुक्कोसोगाहणगाणं नेरइयाणं अणंता पज्जवा पण्णत्ता ? गोयमा! अजहण्णुक्कोसोगाहणए णेरइए अजहण्णुक्कोसोगाहणगस्स णेरइयस्स दव्वट्टयाए तुल्ले, पदेसट्टयाए तुल्ले, ओगाहणट्टयाए सिय हीणे सिये तुल्ले सिय अब्भहिए - जति हीणे