Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 01 Stahanakvasi
Author(s): Shyamacharya, Madhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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[प्रज्ञापना सूत्र [४१९-३ उ.] गौतम! जघन्य अन्तर्मुहूर्त कम सात सागरोपम की और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त कम दस सागरोपम की है।
४२०. [१] लंतए कप्पे देवाणं पुच्छा। गोयमा! जहण्णेणं दस सागरोवमाइं, उक्कोसेणं चउदस सागरोवमाइं। [४२०-१ प्र.] भगवन् ! लान्तककल्प में देवों की स्थिति कितने काल की कही गई है ? [४२०-१ उ.] गौतम! जघन्य दस सागरोपम की और उत्कृष्ट चौदह सागरोपम की है। [२] लंतए अपज्जत्ताणं पुच्छा । गोयमा! जहण्णेणं वि उक्कोसेण वि अंतोमुहत्तं। [४२०-२ प्र.] भगवन्! लान्तककल्प में अपर्याप्त देवों की स्थिति कितने काल की कही गई है ? [४२०-२ उ.] गौतम! जघन्य भी अन्तर्मुहूर्त की है और उत्कृष्ट भी अन्तर्मुहूर्त की है। [३] लंतए पज्जत्ताणं पुच्छा ।
गोयमा! जहण्णेणं दस सागरोवमाइं अंतोमुहुत्तूणाई, उक्कोसेणं चोद्दस सागरोवमाई अंतोमुहुत्तूणाई।
[४२०-३ प्र.] भगवन्! लान्तककल्प में पर्याप्त देवों की स्थिति कितने काल की कही गई है ?
[४२०-३ उ.] गौतम! जघन्य अन्तर्मुहूर्त कम दस सागरोपम की और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त कम चौदह सागरोपम की है।
४२१. [१] महासुक्के देवाणं पुच्छा । गोयमा! जहण्णेण चोद्दस सागरोवमाइं, उक्कोसेणं सत्तरस सागरोवमाई। [४२१-१ प्र.] भगवन् ! महाशुक्रकल्प में देवों की स्थिति कितने काल की कही गई है ? [४२१-१ उ.] गौतम! जघन्य चौदह सागरोपम की तथा उत्कृष्ट सत्तरह सागरोपम की है। [२] महासुक्के अपज्जत्ताणं पुच्छा । गोयमा! जहण्णेणं वि उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तं। [४२१-२ प्र.] भगवन्! महाशुक्रकल्प में अपर्याप्त देवों की स्थिति कितने काल की कही गई है? [४२१-२ उ.] गौतम! जघन्य भी और उत्कृष्ट भी अन्तर्मुहूर्त की है। [३] महासुक्के पज्जत्ताणं पुच्छा ।
गोयमा! जहण्णेणं चोद्दस सागरोवमाइं अंतोमुहुत्तूणाई, उक्कोसेणं सत्तरस सागरोवमाइं अंतोमुहुत्तूणाई। ___[४२१-३ प्र.] भगवन्! महाशुक्रकल्प में पर्याप्त देवों की स्थिति कितने काल तक की कही गई है ?