Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 01 Stahanakvasi
Author(s): Shyamacharya, Madhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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[प्रज्ञापना सूत्र [४१६-१ उ.] गौतम! जघन्य पल्योपम से कुछ अधिक की और उत्कृष्ट पचपन पल्योपम की है। [२] ईसाणे कप्पे अपरिग्गहियाणं अपज्जत्तियाणं देवीणं पुच्छा। गोयमा! जहण्णण वि उक्कोसेण वि अंतोमहत्तं।
[४१६-२ प्र.] भगवन्! ईशानकल्प में अपरिगृहीता अपर्याप्तक देवियों की स्थिति कितने काल की कही गई है ?
[४१६-२ उ.] गौतम! जघन्य भी और उत्कृष्ट भी अन्तर्मुहूर्त की है। [३] ईसाणे कप्पे अपरिग्गहियाणं देवीणं पन्जत्तियाणं पुच्छा ।
गोयमा! जहण्णेणं सातिरेगं पलिओवमं अंतोमुहत्तूणं, उक्कोसेणं पणपण्णं पलिओवमाइं अंतोमुहुत्तूणाई।
[४१६-३ प्र.] भगवन् ! ईशानकल्प में अपरिगृहीता पर्याप्तक देवियों की स्थिति कितने काल की कही गई है ?
[४१६-३ उ.] गौतम! जघन्य अन्तर्मुहूर्त कम सातिरेक पल्योपम की और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त कम पचपन पल्योपम की है।
४१७. [१] सणंकुमारे कप्पे देवाणं पुच्छा। गोयमा! जहण्णेणं दो सागरोवमाइं, उक्कोसेणं सत्त सागरोवमाई। [४१७-१ प्र.] भगवन् ! सनत्कुमारकल्प में देवों की स्थिति कितने काल तक की कही गई है ? [४१७-१ उ.] गौतम! जघन्य दो सागरोपम की और उत्कृष्ट सात सागरोपम की है। [२] सणंकुमारे कप्पे अपज्जत्ताणं देवाणं पुच्छा । गोयमा! जहण्णेण वि उक्कोसेण वि अंतोमहत्तं ।
[४१७-२ प्र.] भगवन् ! सनत्कुमारकल्प में अपर्याप्तक देवों की स्थिति कितने काल की कही गई है ?
[४१७-२ उ.] गौतम! जघन्य भी और उत्कृष्ट भी अन्तर्मुहूर्त की है। [३] सणंकुमारे कप्पे पज्जत्ताणं देवाणं पुच्छा।
गोयमा! जहणणेणं दो सागरोवमाइं अंतोमुत्तूणाई, उक्कोसेणं सत्त सागरोवमाई अंतोमुत्तूणाई।
[४१७-३ प्र.] भगवन् ! सनत्कुमार कल्प में पर्याप्तक देवों की स्थिति कितने काल की कही गई
[४१७-३ उ.] गौतम! जघन्य अन्तर्मुहूर्त कम दो सागरोपम और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त कम सात सागरोपम की है।