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________________ ३६०] [प्रज्ञापना सूत्र [४१६-१ उ.] गौतम! जघन्य पल्योपम से कुछ अधिक की और उत्कृष्ट पचपन पल्योपम की है। [२] ईसाणे कप्पे अपरिग्गहियाणं अपज्जत्तियाणं देवीणं पुच्छा। गोयमा! जहण्णण वि उक्कोसेण वि अंतोमहत्तं। [४१६-२ प्र.] भगवन्! ईशानकल्प में अपरिगृहीता अपर्याप्तक देवियों की स्थिति कितने काल की कही गई है ? [४१६-२ उ.] गौतम! जघन्य भी और उत्कृष्ट भी अन्तर्मुहूर्त की है। [३] ईसाणे कप्पे अपरिग्गहियाणं देवीणं पन्जत्तियाणं पुच्छा । गोयमा! जहण्णेणं सातिरेगं पलिओवमं अंतोमुहत्तूणं, उक्कोसेणं पणपण्णं पलिओवमाइं अंतोमुहुत्तूणाई। [४१६-३ प्र.] भगवन् ! ईशानकल्प में अपरिगृहीता पर्याप्तक देवियों की स्थिति कितने काल की कही गई है ? [४१६-३ उ.] गौतम! जघन्य अन्तर्मुहूर्त कम सातिरेक पल्योपम की और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त कम पचपन पल्योपम की है। ४१७. [१] सणंकुमारे कप्पे देवाणं पुच्छा। गोयमा! जहण्णेणं दो सागरोवमाइं, उक्कोसेणं सत्त सागरोवमाई। [४१७-१ प्र.] भगवन् ! सनत्कुमारकल्प में देवों की स्थिति कितने काल तक की कही गई है ? [४१७-१ उ.] गौतम! जघन्य दो सागरोपम की और उत्कृष्ट सात सागरोपम की है। [२] सणंकुमारे कप्पे अपज्जत्ताणं देवाणं पुच्छा । गोयमा! जहण्णेण वि उक्कोसेण वि अंतोमहत्तं । [४१७-२ प्र.] भगवन् ! सनत्कुमारकल्प में अपर्याप्तक देवों की स्थिति कितने काल की कही गई है ? [४१७-२ उ.] गौतम! जघन्य भी और उत्कृष्ट भी अन्तर्मुहूर्त की है। [३] सणंकुमारे कप्पे पज्जत्ताणं देवाणं पुच्छा। गोयमा! जहणणेणं दो सागरोवमाइं अंतोमुत्तूणाई, उक्कोसेणं सत्त सागरोवमाई अंतोमुत्तूणाई। [४१७-३ प्र.] भगवन् ! सनत्कुमार कल्प में पर्याप्तक देवों की स्थिति कितने काल की कही गई [४१७-३ उ.] गौतम! जघन्य अन्तर्मुहूर्त कम दो सागरोपम और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त कम सात सागरोपम की है।
SR No.003456
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 01 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorShyamacharya
AuthorMadhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1983
Total Pages572
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_pragyapana
File Size12 MB
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