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________________ चतुर्थ स्थितिपद] [३५९ _[४१४-२ प्र.] भगवन्! ईशानकल्प में अपर्याप्त देवियों की स्थिति कितने काल की कही गई [४१४-२ उ.] गौतम! जघन्य भी और उत्कृष्ट भी अन्तर्मुहूर्त की है। [३] ईसाणे कप्पे पज्जत्तियाणं देवीणं पुच्छा । गोयमा! जहण्णेणं सातिरेगं पलिओवमं अंतोमुहत्तूणं, उक्कोसेणं पणपण्णं पलिओवमाइं अंतोमुहुत्तूणाई । [४१४-३ प्र.] भगवन्! ईशानकल्प में पर्याप्त देवियों की स्थिति कितने काल की कही गई है ? [४१४-३ उ.] गौतम! जघन्य अन्तर्मुहूर्त कम पल्योपम से कुछ अधिक की और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त कम पचपन पल्योपम की है। ४१५. [१] ईसाणे कप्पे परिग्गहियाणं देवीणं पुच्छा । गोयमा! जहण्णेणं सातिरेगं पलिओवमं, उक्कोसेणं णव पलिओवमाई। [४१५-१ प्र.] भगवन् ! ईशानकल्प में परिगृहीता देवियों की स्थिति कितने काल की कही गई है ? [४१५-१ उ.] गौतम! जघन्य पल्योपम से कुछ अधिक की और उत्कृष्ट नौ पल्योपम की है। [२] ईसाणे कप्पे परिग्गहियाणं अपज्जत्तियाणं देवीणं पुच्छा। गोयमा! जहण्णेण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहत्तं। [४१५-२ प्र.] भगवन् ! ईशानकल्प में परिगृहीता अपर्याप्त देवियों की स्थिति कितने काल की कही गई है ? [४१५-२ उ.] गौतम! जघन्य भी और उत्कृष्ट भी अन्तर्मुहूर्त की है । [३] ईसाणे कप्पे परिग्गहियाणं पज्जत्तियाणं देवीणं पुच्छा । गोयमा! जहणणेणं सातिरेगं पलिओवमं अंतोमुहुत्तूणं, उक्कोसेणं नव पलिओवमाइं अंतोमुहत्तूणाई। [४१५-३ प्र.] भगवन् ! ईशानकल्प में परिगृहीता पर्याप्तक देवियों की स्थिति कितने काल की कही गई है ? [४१५-३ उ.] गौतम! जघन्य अन्तर्मुहूर्त कम पल्योपम से कुछ अधिक की और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त कम नौ पल्योपम की है। ४१६. [१] ईसाणे कप्पे अपरिग्गहियाणं देवीणं पुच्छा। गोयमा! जहणणेणं सातिरेगं पलिओवमं, उक्कोसेणं पणपण्णं पलिओवमाई। [४१६-१ प्र.] भगवन्! ईशानकल्प में अपरिगृहीता देवियों की स्थिति कितने काल की कही गई
SR No.003456
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 01 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorShyamacharya
AuthorMadhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1983
Total Pages572
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_pragyapana
File Size12 MB
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