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चतुर्थ स्थितिपद]
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_[४१४-२ प्र.] भगवन्! ईशानकल्प में अपर्याप्त देवियों की स्थिति कितने काल की कही गई
[४१४-२ उ.] गौतम! जघन्य भी और उत्कृष्ट भी अन्तर्मुहूर्त की है। [३] ईसाणे कप्पे पज्जत्तियाणं देवीणं पुच्छा ।
गोयमा! जहण्णेणं सातिरेगं पलिओवमं अंतोमुहत्तूणं, उक्कोसेणं पणपण्णं पलिओवमाइं अंतोमुहुत्तूणाई ।
[४१४-३ प्र.] भगवन्! ईशानकल्प में पर्याप्त देवियों की स्थिति कितने काल की कही गई है ?
[४१४-३ उ.] गौतम! जघन्य अन्तर्मुहूर्त कम पल्योपम से कुछ अधिक की और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त कम पचपन पल्योपम की है।
४१५. [१] ईसाणे कप्पे परिग्गहियाणं देवीणं पुच्छा । गोयमा! जहण्णेणं सातिरेगं पलिओवमं, उक्कोसेणं णव पलिओवमाई। [४१५-१ प्र.] भगवन् ! ईशानकल्प में परिगृहीता देवियों की स्थिति कितने काल की कही गई है ? [४१५-१ उ.] गौतम! जघन्य पल्योपम से कुछ अधिक की और उत्कृष्ट नौ पल्योपम की है। [२] ईसाणे कप्पे परिग्गहियाणं अपज्जत्तियाणं देवीणं पुच्छा। गोयमा! जहण्णेण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहत्तं।
[४१५-२ प्र.] भगवन् ! ईशानकल्प में परिगृहीता अपर्याप्त देवियों की स्थिति कितने काल की कही गई है ?
[४१५-२ उ.] गौतम! जघन्य भी और उत्कृष्ट भी अन्तर्मुहूर्त की है । [३] ईसाणे कप्पे परिग्गहियाणं पज्जत्तियाणं देवीणं पुच्छा ।
गोयमा! जहणणेणं सातिरेगं पलिओवमं अंतोमुहुत्तूणं, उक्कोसेणं नव पलिओवमाइं अंतोमुहत्तूणाई।
[४१५-३ प्र.] भगवन् ! ईशानकल्प में परिगृहीता पर्याप्तक देवियों की स्थिति कितने काल की कही गई है ?
[४१५-३ उ.] गौतम! जघन्य अन्तर्मुहूर्त कम पल्योपम से कुछ अधिक की और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त कम नौ पल्योपम की है।
४१६. [१] ईसाणे कप्पे अपरिग्गहियाणं देवीणं पुच्छा। गोयमा! जहणणेणं सातिरेगं पलिओवमं, उक्कोसेणं पणपण्णं पलिओवमाई। [४१६-१ प्र.] भगवन्! ईशानकल्प में अपरिगृहीता देवियों की स्थिति कितने काल की कही गई