Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 01 Stahanakvasi
Author(s): Shyamacharya, Madhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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चतुर्थ स्थितिपद ]
[३] सोहम्मे कप्पे पज्जतियाणं देवीणं पुच्छा ।
गोयमा! जहण्णेणं पलिओवमं अंतोमुहुत्तूणं, उक्कोसेणं सत्त पलिओवमाइं अंतोमुहुत्तूणाई । [४१०-३ प्र.] भगवन्! सौधर्मकाल की पर्याप्तक देवियों की स्थिति कितने काल की कही है ? [४१०-३ उ.] गौतम! जघन्य अन्तर्मुहूर्त्त कम एक पल्योपम की और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त्त कम पचास पल्योपमों की है।
४११. [ १ ] सोहम्मे कप्पे परिग्गहियाणं देवीणं पुच्छा ।
गोयमा ! जहण्णेणं पलिओवमं, उक्कोसेणं सत्त पलिओवमाइं ।
[ ३५७
[४११-१ प्र.] भगवन्! सौधर्मकल्प में परिगृहीता देवियों की स्थिति कितने काल की कही गई है ? [४११-१ उ.] गौतम! जघन्य एक पल्योपम की और उत्कृष्ट सात पल्योपम
है।
[ २ ] सोहम्मे कप्पे परिग्गहियाणं अपज्जत्तियाणं देवीणं पुच्छा ।
गोयमा ! जहणणेण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तं ।
[४११-२ प्र.] भगवन्! सौधर्मकल्प में परिगृहीता अपर्याप्तक देवियों की स्थिति कितने क तक की कही गई है ?
[४११-२ उ.] गौतम! जघन्य और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त की है।
[ ३ ] सोहम्मे कप्पे परिग्गहियाणं पज्जतियाणं देवीणं पुच्छा ।
गोयमा! जहण्णेणं पलिओवमं अंतोमुहुत्तूणं, उक्कोसेणं सत्त पलिओवमाइं अंतोमुहुत्तूणाई । [४११-३ प्र.] भगवन्! सौधर्मकल्प में परिगृहीता पर्याप्तक देवियों की स्थिति कितने काल की कही गई है ?
[४११-३ उ.] गौतम! जघन्य स्थिति अन्तर्मुहूर्त्त कम एक पल्योपम की और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त कम सात पल्योपम की है।
४१२. [ १ ] सोहम्मे कप्पे अपरिग्गहियाणं पुच्छा ।
गोयमा ! जहणेणं पलिओवमं उक्कोसेणं पण्णासं पलिओवमाई |
[४१२-१ प्र.] भगवन् ! सौधर्मकल्प में अपरिगृहीता देवियों की स्थिति कितने काल की कही गई है ?
[४१२-१ उ.] गौतम! जघन्य एक पल्योपम की और उत्कृष्ट पचास पल्योपमों की है ।
[२] सोहम्मे कप्पे अपरिग्गहियाणं अपज्जत्तियाणं देवीणं पुच्छा ।
गोयमा ! जहणणेण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तं ।
[४१२-२ प्र.] भगवन्! सौधर्मकल्प में अपरिगृहीता अपर्याप्तक देवियों की स्थिति कितने काल की कही गई है ?