Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 01 Stahanakvasi
Author(s): Shyamacharya, Madhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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[प्रज्ञापना सूत्र [११७ उ.] केवलि-क्षीणकषाय-वीतरागदर्शनार्य दो प्रकार के कहे गए हैं—सयोगि-केवलिक्षीणकषाय-वीतरागदर्शनार्य और अयोगि-केवलि-क्षीणकषाय-वीतरागदर्शनार्य।
११८. से किं तं सजोगिकेवलिखीणकसायवीतरागदंसणारिया ?
सजोगिकेवलिखीणकसायवीतरागदसणारिया दुविहा पण्णत्ता। तं जहा—पढमसमयसजोगिकेवलिखीणकसायवीतरागदंसणारिया य अपढमसमयसजोगिकेवलिखीणकसायवीतरागदसणारिया य, अहवा चरिमसमयसजोगिकेवलिखीणकसायवीतरागदंसणारिया य अचरिमसमयसजोगिकेवलिखीणकसायवीतरागदंसणारिया य। से तं सजोगिकेवलिखीणकसायवीयरागदसणारिया।
[११८ प्र.] सयोगि-केवलि-क्षीणकषाय-वीतरागदर्शनार्य किस प्रकार के हैं ?
[११८ उ.] सयोगि-केवलि-क्षीणकषाय-वीतरागदर्शनार्य दो प्रकार के कहे गए हैं। वे इस प्रकार हैं—प्रथमसमय-सयोगिकेवलि-क्षीणकषाय-वीतरागदर्शनार्य और अप्रथमसमय-सयोगिकेवलि-क्षीणकषायवीतरागदर्शनार्य; अथवा चरमसमय-सयोगिकेवलि-क्षीणकषाय-वीतरागदर्शनार्य और अचरमसमयसयोगिकेवलि-क्षीणकषाय-वीतरागदर्शनार्य।
यह हुई सयोगिकेवलि-क्षीणकषाय-वीतरागदर्शनार्य की प्ररूपणा । ११९. से किं तं अजोगिकेवलिखीणकसायवीयरागदंसणारिया ?
अजोगिके वलिखीणक सायवीयरागदंसणारिया दुविहा पण्णत्ता। तं जहापढमसमयअजोगिकेवलिखीणकसायवीयरागदसणारिया य अपढमसमयअजोगिकेवलिखीणकसायवीयरागदसणारिया य, अहवा चरिमसमयअजोगिकेवलिखीणकसायवीयरागदसणारिया य अचरिमसमयअजोगिकेवलिखीणकसायवीयरागदंसणारिया य। से तं अजोगिकेवलिखीणकसायवीयरागदंसणारिया। से तं के विलिखीणक सायवीतरागदसणारिया। से तं खीणकसायवीतरागदंसणारिया। से तं वीयरायदंसणारिया। से तं दंसणारिया। .
। [११९ प्र.] अयोगि-केवलि-क्षीणकषाय-वीतरागदर्शनार्य किस प्रकार के होते हैं ? । [११९ उ.] अयोगि-केवलि-क्षीणकषाय-वीतरागदर्शनार्य दो प्रकार के कहे गए हैं। वे इस प्रकार -प्रथमसमय-अयोगिकेवलि-क्षीणकषाय-वीतरागदर्शनार्य और अप्रथमसमय-अयोगिकेवलि-क्षीणकषायवीतरागदर्शनार्य, अथवा चरमसमय-अयोगिकेवलि-क्षीणकषाय-वीतरागदर्शनार्य और अचरमसमयअयोगिकेवलि-क्षीणकषाय-वीतरागदर्शनार्य। ___ यह हुआ उक्त अयोगिकेवलि-क्षीणकषाय-वीतरागदर्शनार्यों (का वर्णन)। (साथ ही पूर्वोक्त) केवलि-क्षीणकषाय-वीतरागदर्शनार्यों का वर्णन (भी पूर्ण हुआ और इसके पूर्ण होने के साथ ही क्षीणकषायवीतरागदर्शनार्यों का वर्णन भी समाप्त हुआ।