Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 01 Stahanakvasi
Author(s): Shyamacharya, Madhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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तृतीय बहुवक्तव्यतापद]
[२४५ गोयमा! सव्वत्थोवा बादरतेउकाइया पज्जत्तया १, बादरतसकाइया पज्जत्तया असंखेज्जगुणा २, बादरतसकाइया अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा ३, पत्तेयसरीरबादरवणस्सइकाइया पज्जत्तगा असंखेज्जगुणा ४, बादरनिगोदा पज्जत्तगा असंखेज्जगुणा ५, बादरपुढविकाइया पज्जत्तगा असंखेज्जगुणा ६, बादरआउकाइया पज्जत्तगा असंखेज्जगुणा ७, बादरवाउकाइया पज्जत्तगा असंखेज्जगुणा ८, बादरतेउकाइया पज्जत्तगा असंखेज्जगुणा ९, पत्तेयसरीरबादरवणस्सइकाइया अपज्जत्तया असंखेन्जगुणा १०, बादरनिगोदा अपज्जत्तया असंखेज्जगुणा ११, बादरपुढविकाइया अपज्जत्तया असंखेज्जगुणा १२, बादरआउकाइया अपज्जत्तया असंखेज्जगुणा १३, बादरवाउकाइया अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा १४, बादरवणस्सइकाइया पज्जत्तगा अणंतगुणा १५, बादरपज्जत्तगा विसेसाहिया १६, बादरवणस्सइकाइया अपज्जत्तगा असंखेन्जगुणा १७, बादरअपज्जनगा विसेसाहिया १८, बादरा विसेसाहिया १९।
[२४६ प्र.] भगवन् ! इन बादर-जीवों, बादर-पृथ्वीकायिकों, बादर-अप्कायिकों, बादर-तेजस्कायिकों, बादर-वायुकायिकों, बादर-वनस्पतिकायिकों, प्रत्येकशरीर बादर-वनस्पतिकायिकों, बादर निगोदों और बादर त्रसकायिकों के पर्याप्तकों और अपर्याप्तकों में से कौन किनसे अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक हैं?
[२४६ उ.] गौतम! १. सबसे थोड़े बादर-तेजस्कायिक-पर्याप्तक हैं। २. (उनसे) बादर-त्रसकायिकपर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं। ३. (उनसे) बादर-त्रसकायिक-अपर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं। ४. (उनसे) प्रत्येकशरीर बादर-वनस्पतिकायिक-पर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं। ५. (उनसे) बादर-निगोद-पर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं। ६. (उनसे) बादर-पृथ्वीकायिक-पर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं। ७. (उनसे) बादरअप्कायिक-पर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं। ८. (उनसे) बादर-वायुकायिक-पर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं। ९. (उनसे) बादर-तेजस्कायिक-अपर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं । १०. (उनसे) प्रत्येक-शरीर-बादरवनस्पतिकायिक-अपर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं। ११. (उनसे) बादर-निगोद-अपर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं। १२. (उनसे) बादर-पृथ्वीकायिक-अपर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं । १३. (उनसे) बादर-अप्कायिक-अपर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं। १४. (उनसे) बादर-वायुकायिक-अपर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं। १५. (उनसे) बादरवनस्पतिकायिक-पर्याप्तक अनन्तगुणे हैं। १६. (उनसे) बादर-पर्याप्तक विशेषाधिक हैं। १७. (उनसे) बादर वनस्पतिकायिक-अपर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं । १८. (उनसे) बादर-अपर्याप्तक विशेषाधिक हैं और १९. (उनसे भी) बादर जीव विशेषाधिक हैं।
___२४७. एतेसि णं भंते! सुहमाणं सुहुमपुढविकाइयाणं सुहुमआउकाइयाणं सुहुमतेउकाइयाणं सुहुमवाउकाइयाणं सुहुमवणप्फइकाइयाणं सुहुमनिगोदाणं बादराणं बादरपुढविकाइयाणं बादरआउकाइयाणं बादरतेउकाइयाणं बादरवाउकाइयाणं बादरवणप्फइकाइयाणं पत्तेयसरीरबायरवणप्फइकाइयाणं बादरणिगोदाणं बादरतसकाइयाण य कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा?