Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 01 Stahanakvasi
Author(s): Shyamacharya, Madhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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३४४]
[प्रज्ञापना सूत्र
की स्थिति कितने काल की कही गई है ?
[३८५-३ उ.] गौतम! जघन्य अन्तर्मुहूर्त की है तथा उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त कम बयालीस हजार वर्ष की है।
३८६. [१] गब्भक्कंतियभुयपरिसप्पथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा।
गोयमा! जहणणेणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं पुव्वकोडी। ___ [३८६-१ प्र.] भगवन् ! गर्भज भुजपरिसर्प स्थलचर पंचेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक जीवों की स्थिति कितने काल की कही गई है?
[३८६-१ उ.] गौतम! जघन्य अन्तर्मुहूर्त है और उत्कृष्ट पूर्वकोटि की है। [२] अपज्जत्तयगब्भवक्कंतियभुयपरिसप्पथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा ।
गोयमा! जहण्णेण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहत्तं। __ [३८६-२ प्र.] भगवन्! अपर्याप्तक गर्भज भुजपरिसर्प स्थलचर पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक जीवों की स्थिति कितने काल की कही गई है ?
[३८६-२ उ.] गौतम! जघन्य अन्तर्मुहूर्त की है और उत्कृष्ट भी अन्तर्मुहूर्त की है। [३] पज्जत्तयगब्भवक्कंतियभुयपरिसप्पथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा । गोयमा! जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं पुव्वकोडी अंतोमुहुत्तूणा।
[३८६-३ प्र.] भगवन् ! पर्याप्त गर्भज भुजपरिसर्प स्थलचर पंचेन्द्रिय तिर्यग्योनिक जीवों की स्थिति कितने काल तक की कही गई है ?
[३८६-३ उ.] गौतम! जघन्य अन्तर्मुहूर्त की है, उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त कम पूर्वकोटि की है। ३८७. [१] खहयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं भंते! केवतियं कालं ठिती पण्णत्ता ? गोयमा! जहण्णेणं अंतोमुहत्तं,उक्कोसेणं पलिओवमस्स असंखेज्जइभागो।
[३८७-१ प्र.] भगवन् ! खेचर पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक जीवों की स्थिति कितने काल तक की कही है ?
[३८७-१उ.] गौतम! जघन्य अन्तर्मुहूर्त की है, उत्कृष्ट पल्योपम के असंख्येयभाग की है। [२] अपज्जत्तयखहयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा । गोयमा! जहण्णेण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहत्तं।
[३८७-२ प्र.] भगवन् ! अपर्याप्त खेचर पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक जीवों की स्थिति कितने काल की कही है ?
[३८७-२ उ.] गौतम! जघन्य भी अन्तर्मुहूर्त की है और उत्कृष्ट भी अन्तर्मुहूर्त की है। [६] पज्जत्तयखहयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा।