Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 01 Stahanakvasi
Author(s): Shyamacharya, Madhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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चतुर्थ स्थितिपद]
गोयमा! जहण्णेणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं पलिओवमस्स असंखेज्जइभागो अंतोमुहत्तूणो।
[३८७- ३ प्र.] भगवन्! पर्याप्त खेचर पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक जीवों की स्थिति कितने काल तक की कही गई है? ___ [३८७-३ उ.] गौतम! जघन्य अन्तर्मुहूर्त की है और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त कम पल्योपम के असंख्यातवें भाग की है।
३८८. [१] सम्मुच्छिमखहयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा । गोयमा! जहण्णेणं अंतोमुत्तं, उक्कोसेणं बावत्तरि वाससहस्साई।
[३८८-१ प्र.] भगवन् ! सम्मूछिम खेचर पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक जीवों की स्थिति कितने काल की कही गई है ?
[३८८-१ उ.] गौतम! जघन्य अन्तर्मुहुर्त की है और उत्कृष्ट बहत्तर हजार वर्ष की है। [२] अपज्जत्तयसम्मुच्छिमखहयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा । गोयमा! जहण्णेण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहत्तं।
[३८८-२ प्र.] भगवन् ! अपर्याप्त सम्मूछिम खेचर पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक जीवों की स्थिति कितने काल तक की कही गई है ?
[३८८-२ उ.] गौतम! जघन्य भी अन्तर्मुहूर्त की है, और उत्कृष्ट भी अन्तर्मुहूर्त की है। [६] पज्जत्तयखंहयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा । गोयमा! जहण्णेणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं बावत्तरि वाससहस्साइं अंतोमुहुत्तूणाई।
[३८८-३ प्र.] भगवन् ! पर्याप्त सम्मूछिम खेचर पंचेन्द्रिय-तिर्यञ्चयोनिक जीवों की स्थिति कितने काल तक की कही गई है ?
[३८८-३ उ.] गौतम! जघन्य अन्तमुहुर्त की है और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त कम बहत्तर हजार वर्ष
की है।
३८९. [१] गब्भवक्कंतियखहयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा । गोयमा! जहण्णेणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं पलिओवमस्स असंखेजतिभागो।
[३८९-१ प्र.] भगवन् ! गर्भज-खेचर-पंचेन्द्रिय-तिर्यञ्चयोनिक जीवों की स्थिति कितने काल तक की कही गई है ? __ [३८९-१ उ.] गौतम! जघन्य अन्तर्मुहूर्त की है और उत्कृष्ट पल्योपम के असंख्यातवें भाग की
है
[२] अपज्जत्तयगब्भवक्कंतियखहयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा । गोयमा! जहण्णण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहत्तं।