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________________ [३४५ चतुर्थ स्थितिपद] गोयमा! जहण्णेणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं पलिओवमस्स असंखेज्जइभागो अंतोमुहत्तूणो। [३८७- ३ प्र.] भगवन्! पर्याप्त खेचर पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक जीवों की स्थिति कितने काल तक की कही गई है? ___ [३८७-३ उ.] गौतम! जघन्य अन्तर्मुहूर्त की है और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त कम पल्योपम के असंख्यातवें भाग की है। ३८८. [१] सम्मुच्छिमखहयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा । गोयमा! जहण्णेणं अंतोमुत्तं, उक्कोसेणं बावत्तरि वाससहस्साई। [३८८-१ प्र.] भगवन् ! सम्मूछिम खेचर पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक जीवों की स्थिति कितने काल की कही गई है ? [३८८-१ उ.] गौतम! जघन्य अन्तर्मुहुर्त की है और उत्कृष्ट बहत्तर हजार वर्ष की है। [२] अपज्जत्तयसम्मुच्छिमखहयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा । गोयमा! जहण्णेण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहत्तं। [३८८-२ प्र.] भगवन् ! अपर्याप्त सम्मूछिम खेचर पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक जीवों की स्थिति कितने काल तक की कही गई है ? [३८८-२ उ.] गौतम! जघन्य भी अन्तर्मुहूर्त की है, और उत्कृष्ट भी अन्तर्मुहूर्त की है। [६] पज्जत्तयखंहयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा । गोयमा! जहण्णेणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं बावत्तरि वाससहस्साइं अंतोमुहुत्तूणाई। [३८८-३ प्र.] भगवन् ! पर्याप्त सम्मूछिम खेचर पंचेन्द्रिय-तिर्यञ्चयोनिक जीवों की स्थिति कितने काल तक की कही गई है ? [३८८-३ उ.] गौतम! जघन्य अन्तमुहुर्त की है और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त कम बहत्तर हजार वर्ष की है। ३८९. [१] गब्भवक्कंतियखहयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा । गोयमा! जहण्णेणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं पलिओवमस्स असंखेजतिभागो। [३८९-१ प्र.] भगवन् ! गर्भज-खेचर-पंचेन्द्रिय-तिर्यञ्चयोनिक जीवों की स्थिति कितने काल तक की कही गई है ? __ [३८९-१ उ.] गौतम! जघन्य अन्तर्मुहूर्त की है और उत्कृष्ट पल्योपम के असंख्यातवें भाग की है [२] अपज्जत्तयगब्भवक्कंतियखहयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा । गोयमा! जहण्णण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहत्तं।
SR No.003456
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 01 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorShyamacharya
AuthorMadhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1983
Total Pages572
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_pragyapana
File Size12 MB
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