Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 01 Stahanakvasi
Author(s): Shyamacharya, Madhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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चतुर्थ स्थितिपद ]
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[३४७-३ प्र.] भगवन्! पर्याप्तक असुरकुमार देवों की स्थिति कितने काल की कही गई है ? [३४७-३ उ.] गौतम! जघन्य अन्तर्मुहूर्त्त कम दस हजार वर्ष की, और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त्त कम कुछ अधिक सागरोपम की है ।
३४८. [ १ ] असुरकुमाराणं भंते! देवीणं केवतियं कालं ठिती पण्णत्ता ? गोयमा! जहण्णेणं दस वाससहस्साई, उक्कोसेणं अद्धपंचमाइं पलिओ माई ।
[३४८-१ प्र.] भगवन् ! असुरकुमार देवियों की स्थिति कितने काल की कही गई है ? [३४८-१ उ.] गौतम! जघन्य दस हजार वर्ष की है और उत्कृष्ट साढ़े चार पल्योपम की है । [ २ ] अपज्जत्तियाणं असुरकुमारीणं भंते! देवीणं केवतियं कालं ठिती पण्णत्ता ? गोयमा ! जहणणेणं वि अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तं ।
[३४८-२ प्र.] भगवन्! अपर्याप्त असुरकुमार देवियों की स्थिति कितने काल की कही गई है ? [३४८-२] गौतम! जघन्य अन्तर्मुहूर्त्त की हैं, और उत्कृष्ट भी अन्तर्मुहूर्त्त की है।
[ ३ ] पज्जत्तियाणं असुरकुमारीणं भंते! देवीणं केवतियं कालं ठिती पण्णत्ता ? गोयमा! जहण्णेणं दस वाससहस्साइं अंतोमुहुत्तूणाई, उक्कोसेणं अद्धपंचमाई पलिओवमाई अंतोमुहुत्तूणाई ।
[३४८-३ प्र.] भगवन्! पर्याप्तक असुरकुमार देवियों की स्थिति कितने काल की कही गई है ? [३४८-३ उ.] गौतम! जघन्य अन्तर्मुहूर्त्त कम दस हजार वर्ष की, और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त कम साढ़े चार पल्योपम की है ।
३४९. [ १ ] णागकुमाराणं भंते! देवाणं केवतियं कालं ठिती पण्णत्ता ? गोमा ! जहणं दस वाससहस्साइं, उक्कोसेणं दो पलिओवमाइं देसूणाई ।
[३४९- १ प्र.] भगवन् ! नागकुमार देवों की स्थिति कितने काल तक की कही गई है ? [३४९-१ उ.] गौतम! जघन्य दस हजार वर्ष की और उत्कृष्ट देशोन (कुछ कम) दो पल्योपमों
की है।
[ २ ] अपज्जत्तयाणं भंते! णागकुमाराणं देवाणं केवतियं कालं ठिती पण्णत्ता ?
गोयमा ! जहणणेणं वि अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तं ।
[३४९-२ प्र.] भगवन्! अपर्याप्त नागकुमारों की स्थिति कितने काल तक की कही गई हैं ? [३४९-२ उ.] गौतम! जघन्य भी अन्तर्मुहूर्त की और उत्कृष्ट भी अन्तर्मुहूर्त की है ।
[ ३ ] पज्जत्तयाणं भंते! णागकुमाराणं देवाणं केवतियं कालं ठिती पण्णत्ता ?
गोयमा ! जहणेणं दस वाससहस्साइं अंतोमुहुत्तूणाई, उक्कोसेणं दो पलिओवमाई देसूणाई अंतोमुहुत्तूणाई ।