Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 01 Stahanakvasi
Author(s): Shyamacharya, Madhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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[ प्रज्ञापना सूत्र [३१५] क्षेत्र की अपेक्षा से १. सबसे कम तेजस्कायिक-पर्याप्तक जीव ऊर्ध्वलोक-तिर्यक्लोक में हैं, २. [उनकी अपेक्षा] अधोलोक-तिर्यक्लोक में विशेषाधिक हैं, ३. तिर्यक्लोक में (उनसे) असंख्यातगुणे हैं, ४. त्रैलोक्य में (उनकी अपेक्षा) असंख्यातगुणे हैं, ५. (उनकी अपेक्षा) ऊर्ध्वलोक में असंख्यातगुणे हैं और (उनकी अपेक्षा भी) ६. अधोलोक में विशेषाधिक हैं।
३१६. खेत्ताणुवाएणं सव्वत्थोवा वाउकाइया उड्ढलोयतिरियलोए १, अधेलोयतिरियलोए विसेसाहिया २, तिरियलोए असंखेज्जगुणा ३, तेलोक्के असंखेज्जगुणा ४, उड्ढलोए असंखेजगुणा ५, अधेलोए विसेसाहिया ६।
[३१६] क्षेत्र के अनुसार १. सबसे अल्प वायुकायिक जीव ऊर्ध्वलोक-तिर्यक्लोक में हैं, २. अधोलोक-तिर्यक्लोक में (इनसे) विशेषाधिक हैं, ३. तिर्यक्लोक में (इनसे) असंख्यातगुणे हैं, ४. त्रैलोक्य में (इनसे) असंख्यातगुणे हैं, ५. (इनसे) ऊर्ध्वलोक में असंख्यातगुणे हैं, ६. और (इनसे भी) विशेषाधिक अधोलोक में हैं।
३१७. खेत्ताणुवाएणं सव्वत्थोवा वाउकाइया अपज्जत्तया उड्ढलोयतिरियलोए १, अधेलोयतिरियलोए विसेसाहिया २. तिरियलोए असंखेज्जगुणा ३, तेलोक्के असंखेन्जगुणा ४, उड्ढलोए असंखेज्जगुणा ५, अधेलोए विसेसाहिया ६।
[३१७] क्षेत्र की अपेक्षा से १. वायुकायिक-अपर्याप्तक जीव सबसे कम ऊर्ध्वलोक-तिर्यक्लोक में हैं, २. अधोलोक-तिर्यक्लोक में (उनकी अपेक्षा) विशेषाधिक हैं, ३. (उनसे) तिर्यक्लोक में असंख्यातगुणे हैं, ४. त्रैलोक्य में अर्थात् तीनों लोकों का स्पर्श करने वाले जीव (उनकी अपेक्षा भी) असंख्यातगुणे हैं, ५. (उनसे) उर्ध्वलोक में असंख्यातगुणे हैं और ६. (उनकी अपेक्षा भी) अधोलोक । में विशेषाधिक हैं।
३१८. खेत्ताणुवाएणं सव्वत्थोवा वाउकाइया पज्जत्तया उड्ढलोयतिरियलोए १, अधेलोयतिरियलोए विसेसाहिया २, तिरियलोए असंखेजगुणा ३, तेलोक्के असंखेज्जगुणा ४, उड्ढलोए असंखेजगुणा ५, अधेलोए विसेसाहिया ६।
। [३१८] क्षेत्र की अपेक्षा से १. सबसे थोड़े वायुकायिक-पर्याप्तक जीव ऊर्ध्वलोक-तिर्यक्लोक में हैं, २. अधोलोक-तिर्यक्लोक में (इनकी अपेक्षा) विशेषाधिक हैं, ३. (इनकी अपेक्षा) तिर्यक्लोक में असंख्यातगुणे हैं, ४. (इनसे) त्रैलोक्य में असंख्यातगुणे हैं, ५. (इनकी अपेक्षा) असंख्यातगुणे ऊर्ध्वलोक में हैं और (इनकी अपेक्षा भी) ६. अधोलोक में विशेषाधिक हैं।
३१९. खेत्ताणुवाएणं सव्वत्थोवा वणस्सइकाइया उड्ढलोयतिरियलोए १, अधेलोयतिरियलोए विसेसाधिया २, तिरियलोए असंखेन्जगुणा ३, तेलोक्के असंखेज्जगुणा ४, उड्ढलोए असंखेजगुणा ५, अधेलोए विसेसाधिया ६।