Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 01 Stahanakvasi
Author(s): Shyamacharya, Madhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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तृतीय बहुवक्तव्यतापद]
[ २४३ [२४५-२ प्र.] भगवन् ! इन बादर पृथ्वीकायिक-पर्याप्तकों और अपर्याप्तकों में से कौन किनसे अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक हैं ?
[२४५-२ उ.] गौतम! सबसे थोड़े बादर पृथ्वीकायिक-पर्याप्तक हैं, (उनसे) बादर पृथ्वीकायिकअपर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं। ___[३] एतेसि णं भंते! बादरआउकाइयाणं पज्जत्ताऽपज्जत्ताणं कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?
गोयमा! सव्वत्थोवा बादरआउकाइया पज्जत्तगा, बादरआउकाइया अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा।
[२४५-३ प्र.] भगवन् ! इन बादर अप्कायिक-पर्याप्तकों और अपर्याप्तकों में से कौन किनसे अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक हैं ?
- [२४५-३ उ.] गौतम! सबसे कम बादर अप्कायिक-पर्याप्तक हैं, (उनसे) बादर अप्कायिकअपर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं ।
[४] एतेसि णं भंते! बादरतेउकाइयाणं पज्जत्ताऽपज्जत्ताणं कतरे कतरेहिंतो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?
गोयमा! सव्वत्थोवा बादरतेउकाइया पज्जत्तया, बादरतेउकाइया अपज्जत्तया असंखेज्जगुणा।
[२४५-५ प्र.] भगवन्! इन बादर तेजस्कायिक-पर्याप्तकों और अपर्याप्तकों में से कौन, किनसे अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक हैं ?
[२४५-४ उ.] गौतम! सबसे अल्प बादर तेजस्कायिक-पर्याप्तक हैं,(उनसे) बादर तेजस्कायिकअपर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं।
[५] एतेसि णं भंते! बादरवाउकाइयाणं पज्जत्ताऽपज्जत्ताणं कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?
गोयमा! सव्वत्थोवा बादरवाउकाइया पज्जत्तगा, बादरवाउकाइया अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा।
[२४५-५ प्र.] भगवन् ! इन बादर वायुकायिक-पर्याप्तकों और अपर्याप्तकों में से कौन किनसे अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक हैं ?
[२४५-५ उ.] गौतम! सबसे अल्प बादर वायुकायिक-पर्याप्तक हैं और (उनसे) बादर वायुकायिकअपर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं।
[६] एतेसि णं भंते! बादरवणप्फइकाइयाणं पज्जत्ताऽपज्जत्ताणं कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?
गोयमा! सव्वत्थोवा बादरवणप्फइकाइया पज्जत्तगा, बादरवणप्फइकाइया अपज्जत्तया असंखेज्जगुणा।