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________________ १०४] [प्रज्ञापना सूत्र [११७ उ.] केवलि-क्षीणकषाय-वीतरागदर्शनार्य दो प्रकार के कहे गए हैं—सयोगि-केवलिक्षीणकषाय-वीतरागदर्शनार्य और अयोगि-केवलि-क्षीणकषाय-वीतरागदर्शनार्य। ११८. से किं तं सजोगिकेवलिखीणकसायवीतरागदंसणारिया ? सजोगिकेवलिखीणकसायवीतरागदसणारिया दुविहा पण्णत्ता। तं जहा—पढमसमयसजोगिकेवलिखीणकसायवीतरागदंसणारिया य अपढमसमयसजोगिकेवलिखीणकसायवीतरागदसणारिया य, अहवा चरिमसमयसजोगिकेवलिखीणकसायवीतरागदंसणारिया य अचरिमसमयसजोगिकेवलिखीणकसायवीतरागदंसणारिया य। से तं सजोगिकेवलिखीणकसायवीयरागदसणारिया। [११८ प्र.] सयोगि-केवलि-क्षीणकषाय-वीतरागदर्शनार्य किस प्रकार के हैं ? [११८ उ.] सयोगि-केवलि-क्षीणकषाय-वीतरागदर्शनार्य दो प्रकार के कहे गए हैं। वे इस प्रकार हैं—प्रथमसमय-सयोगिकेवलि-क्षीणकषाय-वीतरागदर्शनार्य और अप्रथमसमय-सयोगिकेवलि-क्षीणकषायवीतरागदर्शनार्य; अथवा चरमसमय-सयोगिकेवलि-क्षीणकषाय-वीतरागदर्शनार्य और अचरमसमयसयोगिकेवलि-क्षीणकषाय-वीतरागदर्शनार्य। यह हुई सयोगिकेवलि-क्षीणकषाय-वीतरागदर्शनार्य की प्ररूपणा । ११९. से किं तं अजोगिकेवलिखीणकसायवीयरागदंसणारिया ? अजोगिके वलिखीणक सायवीयरागदंसणारिया दुविहा पण्णत्ता। तं जहापढमसमयअजोगिकेवलिखीणकसायवीयरागदसणारिया य अपढमसमयअजोगिकेवलिखीणकसायवीयरागदसणारिया य, अहवा चरिमसमयअजोगिकेवलिखीणकसायवीयरागदसणारिया य अचरिमसमयअजोगिकेवलिखीणकसायवीयरागदंसणारिया य। से तं अजोगिकेवलिखीणकसायवीयरागदंसणारिया। से तं के विलिखीणक सायवीतरागदसणारिया। से तं खीणकसायवीतरागदंसणारिया। से तं वीयरायदंसणारिया। से तं दंसणारिया। . । [११९ प्र.] अयोगि-केवलि-क्षीणकषाय-वीतरागदर्शनार्य किस प्रकार के होते हैं ? । [११९ उ.] अयोगि-केवलि-क्षीणकषाय-वीतरागदर्शनार्य दो प्रकार के कहे गए हैं। वे इस प्रकार -प्रथमसमय-अयोगिकेवलि-क्षीणकषाय-वीतरागदर्शनार्य और अप्रथमसमय-अयोगिकेवलि-क्षीणकषायवीतरागदर्शनार्य, अथवा चरमसमय-अयोगिकेवलि-क्षीणकषाय-वीतरागदर्शनार्य और अचरमसमयअयोगिकेवलि-क्षीणकषाय-वीतरागदर्शनार्य। ___ यह हुआ उक्त अयोगिकेवलि-क्षीणकषाय-वीतरागदर्शनार्यों (का वर्णन)। (साथ ही पूर्वोक्त) केवलि-क्षीणकषाय-वीतरागदर्शनार्यों का वर्णन (भी पूर्ण हुआ और इसके पूर्ण होने के साथ ही क्षीणकषायवीतरागदर्शनार्यों का वर्णन भी समाप्त हुआ।
SR No.003456
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 01 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorShyamacharya
AuthorMadhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1983
Total Pages572
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_pragyapana
File Size12 MB
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