Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 01 Stahanakvasi
Author(s): Shyamacharya, Madhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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प्रथम प्रज्ञापनापद]
[१०३ सयंबुद्धछ उमत्थखीणक सायवीयरागदसणारिया दुविहा पण्णत्ता। तं जहा - पढमसमयसयंबुद्धछउमत्थखीणकसायवीयरागदंसणारिया य अपढमसमयसयंबुद्धछउमत्थखीणकसायवीयरायदंसणारिया य, अहवा चरिमसमयसयंबुद्धछउमत्थखीणकसायवीयरायदंसणारिया य अचरिमसमयसयंबुद्धछउमत्थखीणकसायवीयरायदंसणारिया य। से तं सयंबुद्धछउमत्थखीणकसायवीयरायदंसणारिया।
[११५ प्र.] स्वयंबुद्ध-छद्मस्थ-क्षीणकषाय-वीतरागदर्शनार्य किस प्रकार के होते हैं ?
[११५ उ.] स्वयंबुद्ध-छद्मस्थ-क्षीणकषाय-वीतरागदर्शनार्य दो प्रकार के कहे गए हैं। वे इस प्रकार—प्रथमसमय-स्वयंबुद्ध-छद्मस्थ-क्षीणकषाय-वीतरागदर्शनार्य और अप्रथमसमय-स्वयंबुद्ध-छद्मस्थक्षीणकषाय-वीतरागदर्शनार्य अथवा चरमसमय स्वयंबुद्धछद्मस्थ क्षीणकषाय वीतरागदर्शनार्य और अचरमसमय-स्वयंबुद्ध-छद्मस्थ-क्षीणकषाय-वीतराग-दर्शनार्य। यह हुआ उक्त स्वयंबुद्ध-छद्मस्थक्षीणकषाय-वीतरागदर्शनार्यों का वर्णन।
११६. से किं तं बुद्धबोहियछउमत्थखीणकसायवीयरायदंसणारिया ?
बुद्धबोहियछ उमत्थखीणकसायवीयरायदंसणारिया दुविहा पण्णत्ता। तं जहा - पढमसमयबुद्धबोहियछउमत्थखीणकसायवीयरायदंसणारिया य अपढमसमयबुद्धबोहियछउमत्थखीणकसायवीयरागदंसणारिया य, अहवा चरिमसमयबुद्धबोहियछ उमत्थखीणकसायवीयरायदंसणारिया य अचरिमसमयबुद्धबोहियछउमत्थखीणकसायवीयरायदंसणारिया य। से तं बुद्धबोहियछउमत्थखीणकसायवीयराग-दंसणारिया। से त्तं छउमत्थखीणकसायवीयरायदसणारिया।
[११६ प्र.] बुद्धबोधित-छद्मस्थ-क्षीणकषाय-वीतरागदर्शनार्य कैसे होते हैं ?
[११६उ.] बुद्धबोधित-छद्मस्थ-क्षीणकषाय-वीतरागदर्शनार्य दो प्रकार के कहे गये हैं। यथाप्रथमसमय-बुद्धबोधित-छद्मस्थ-क्षीणकषाय-वीतरागदर्शनार्य और अप्रथमसमय-बुद्धबोधित-छद्मस्थक्षीणकषय-वीतरागदर्शनार्य; अथवा चरमसमय-बुद्धबोधित-छद्मस्थ-क्षीणकषाय-वीतराग-दर्शनार्य और अचरमसमय-बुद्धबोधित-छद्मस्थ-क्षीणकषाय-वीतरागदर्शनार्य।
यह हुआ उक्त बुद्धबोधित-छद्मस्थ-क्षीणकषाय-वीतरागदर्शनार्य का निरूपण और इसके साथ ही उक्त छद्मस्थ-क्षीणकषाय-वीतरागदर्शनार्य का निरूपण पूर्ण हुआ?
११७. से किं तं केवलिखीणकसायवीतरागदंसणारिया ?
केवलिखीणकसायवीतरागदंसणारिया दुविहा पण्णत्ता। तं जहा—सजोगिकेवलिखीणकसायवीतरागदंसणारिया य अजोगिकेवलिखीणकसायवीतरागदंसणारिया य।
[११७. प्र.] केवलि-क्षीणकषाय-वीतरागदर्शनार्य किस प्रकार के कहे गए हैं ?