Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 01 Stahanakvasi
Author(s): Shyamacharya, Madhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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२३४]
[प्रज्ञापना सूत्र
[४] एतेसि णं भंते! तेउकाइयाणं पज्जत्ताऽपज्जत्ताणं कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?
गोयमा! सव्वत्थोवा तेउकाइया अपज्जत्तगा, तेउकाइया पज्जत्तगा संखेज्जगुणा।
[२३५-४ प्र.] भगवन् ! तेजस्कायिक पर्याप्तकों और अपर्याप्तकों में से कौन किनसे अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक हैं ?
[२३५-४ उ.] गौतम! सबसे कम अपर्याप्तक तेजस्कायिक हैं। (उनसे) अपर्याप्तक तेजस्कायिक संख्यातगुणे हैं।
[५] एतेसि णं भंते! वाउकाइयाणं पज्जत्ताऽपज्जत्ताणं कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?
गोयमा! सव्वत्थोवा वाउकाइया अपज्जत्तगा, वाउकाइया पज्जत्तगा संखेज्जगुणा
[२३५-५ प्र.] भगवन् ! पर्याप्तक और अपर्याप्तक वायुकायिकों में से कौन किनसे अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक हैं ?
[२३५-५ उ.] गौतम! सबसे अल्प अपर्याप्तक वायुकायिक हैं, (उनसे) पर्याप्तक वायुकायिक संख्यातगुणे हैं।
[६] एएसि णं भंते! वणस्सइकाइयाणं पज्जत्ताऽपज्जत्तगाणं कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?
गोयमा! सव्वत्थोवा वणप्फइकाइया अपज्जत्तगा, वणप्फइकाइया पज्जत्तगा संखेज्जगुणा। __ [२३५-६ प्र.] भगवन् ! इन पर्याप्तक और अपर्याप्तक वनस्पतिकायिकों में से कौन किनसे अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक हैं ?
[२३५-६ उ.] गौतम! सबसे थोड़े अपर्याप्तक वनस्पतिकायिक हैं, (उनसे) पर्याप्तक वनस्पतिकायिक संख्यातगुणे हैं।
[७] एतेसि णं भंते! तसकाइयाणं पज्जत्ताऽपज्जत्ताणं कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?
गोयमा! सव्वत्थोवा तसकाइया पज्जत्तगा, तसकाइया अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा।
[२३५-७ प्र.] भगवन्! इन पर्याप्तक और अपर्याप्तक त्रसकायिकों में से कौन किनसे अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक हैं ?
[२३-५-७ उ.] गौतम! सबसे कम पर्याप्तक त्रसकायिक हैं, (उनसे) अपर्याप्तक त्रसकायिक असंख्यातगुणे हैं।
२३६. एतेसि णं भंते! सकाइयाणं पुढविकाइयाणं आउकाइयाणं तेउकाइयाणं वाउकाइयाणं