Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 01 Stahanakvasi
Author(s): Shyamacharya, Madhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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[ प्रज्ञापना सूत्र
तात्पर्य यह है कि बारह कल्पों में जैसा स्वामी - सेवक आदि का भेद होता है, वैसा भेद नवग्रैवेयकों एवं अनुत्तरविमानों के देवों में नहीं है । वहाँ के सभी देवों की ऋद्धि आदि समान है, अतएव सभी अपने को इन्द्र - जैसा (स्वाधीन) अनुभव करते हैं। हाँ, सर्वार्थसिद्ध विमान को छोड़कर उनकी आयु में अन्तर हो सकता है।
कल्पों के अवतंसकों का रेखाचित्र
२०२]
क्रम
१
३
५
७
(९)
१०
२
कल्प का नाम
मध्य में
सौधर्मकल्प
सौधर्मावतंसक
सनत्कुमारकल्प
| सनत्कुमारावतंसक
ब्रह्मलोककल्प
ब्रह्मलोकावतंसक
महाशुक्रकल्प
महाशुक्रावतंसक
(आनत) प्राणतकल्प प्राणतावतंसक
ईशानकल्प
ईशानावतंसक
माहेन्द्रकल्प
माहेन्द्रावतंसक
६
लान्तककल्प
लान्तकावतंसक
८
सहस्रारकल्प
सहस्रारावतंसक
(११) (आरण) अच्युतकल्प अच्युतावतंसक
१२
४
पूर्वदिशा में
अशोकावतंसक
11
11
"
11
11
11
11
दक्षिणदिशा में पश्चिमदिशा में
सप्तपर्णावतंसक चम्पकावतंसक
11
11
11
11
"
अंकावतंसक स्फटिकावतंसक रत्नावतंसक
11
11
11
11
11
11
11
21
11
11
11
??
उत्तरदिशा में
चूतावतंसक
11
11
11
11
जातरूपावतंसक
11
11
17
11
२११. कहि णं भंते! सिद्धाणं ठाणा पण्णत्ता ? कहि णं भंते! सिद्धा परिवसंति ? गोयमा! सव्वट्ठसिद्धस्स महाविमाणस्स उवरिल्लाओ थ्रुभियग्गाओ दुवालस जोयणे उड्ढ अबाहाए एत्थ णं ईसीपब्भारा णामं पुढवी पण्णत्ता, पणतालीसं जोयणसतसहस्साणि आयामविक्खंभेणं एगा जोयणकोडी बायालीसं च सतसहस्साइं तीसं च सहस्साइं दोण्णि य अउणापण्णे जोयणसते किंचि विसेसाहिए परिक्खेवेणं पण्णत्ता । ईसीपब्भाराए णं पुढविए बहुमज्झदेसभाए अट्ठजोयणिए खेत्ते अट्ठ जोयणाई बाहल्लेणं पण्णत्ते, ततो अणंतरं च णं माताए माताए पएसपरिहाणीए परिहायमाणी परिहायमाणी सव्वेसु चरिमंतेसु मच्छियपत्तातो तणुययरी अंगुलस्स असंखेज्जतिभागं बाहल्लेणं पण्णत्ता ।
ईसीपब्भाराए णं पुढवीए दुवालस नामधिज्जा पण्णत्ता । तं जहा — ईसी ति वा १ इसीपभारा इवा २ तणू तिवा ३ तणुतणू ति वा ४ सिद्ध ति वा ५ सिद्धालए त वा ६ मुत्ती इ वा ७ मुत्तालए ति वा ८ लोयग्गे इ वा ९ लोयग्गभिया ति वा १० लोयग्गपडिवुज्झणा इ वा ११ सव्वपाण-भूतजीवसत्तसुहावहा इ वा १२ ।