Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 01 Stahanakvasi
Author(s): Shyamacharya, Madhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
View full book text
________________
१०६]
[प्रज्ञापना सूत्र
सरागचरित्तारिया। से त्तं सरागचरित्तारिया।
[१२३ प्र.] बादरसम्पराय-सराग-चारित्रार्य किस प्रकार के हैं ?
[१२३ उ.] बादरसम्पराय-सराग-चारित्रार्य दो प्रकार के कहे गए हैं—प्रथमसमय-बादर-सम्परायसराग-चारित्रार्य और अप्रथमसमय-बादरसम्पराय-सराग-चारित्रार्य अथवा चरमसमय-बादरसम्पराय-सरागचारित्रार्य और अचरमसमय-बादरसम्पराय-सराग-चारित्रार्य अथवा (तीसरी तरह से) बादरसम्पराय-सरागचारित्रार्य दो प्रकार के कहे गए हैं। वे इस प्रकार हैं—प्रतिपाति और अप्रतिपाती। यह हुआ बादरसम्परायसराग-चारित्रार्य (का वर्णन) (और साथ ही) सराग-चारित्रार्य (का वर्णन भी पूर्ण हुआ)।
१२४. से किं तं वीयरागचरित्तारिया ?
वीयरागचरित्तारिया दुविहा पण्णत्ता। तं जहा -उवसंतकसायवीयरायचरित्तारिया य खीणकसायवीतरागचरित्तारिया य।
[१२४ प्र.] वीतराग-चारित्रार्य किस प्रकार के हैं ?
[१२४ उ.] वीतराग-चारित्रार्य दो प्रकार के हैं। वे इस प्रकार–उपशान्तकषाय-वीतराग-चारित्रार्य और क्षीणकषाय-वीतराग-चारित्रार्य।
१२५. से किं तं उवसंतकसायवीयरायचरित्तारिया ?
उवसंतकसायवीयरायचरित्तारिया दुविहा पण्णत्ता। तं जहा-पढमसमयउवसंतकसायवीयरायचरित्तारिया य अपढमसमयउवसंतकसायवीयरायचरित्तारिया य , अहवा चरिमसमयउवसंतकसायवीयरायचरित्तारिया य अचरिमसमयउवसंतकसायवीयरायचरित्तारिया य। से त्तं उवसंतकसायवीयरागचरित्तारिया ।
[१२५ प्र.] उपशान्तकषाय-वीतराग-चारित्रार्य किस प्रकार के होते हैं ?
[१२५ उ.] उपशान्तकषाय-वीतराग-चारित्रार्य दो प्रकार के कहे गए हैं। वे इस प्रकार हैंप्रथमसमय-उपशान्तकषाय-वीतराग-चारित्रार्य और अप्रथमसमय-उपशान्तकषाय-वीतराग-चारित्रार्य; अथवा चरमसमय-उपशान्तकषाय-वीतराग-चारित्रार्य और अचरमसमय-उपशान्तकषाय-वीतराग-चारित्रार्य। यह हुआ उपशान्तकषाय-वीतराग-चारित्रार्य का निरूपण।
१२६. से किं तं खीणकसायवीयरायचरित्तारिया ?
खीणक सायवीयरायचरित्तारिया दुविहा पण्णत्ता। तं जहाछउमत्थखीणकसायवीतरागचरित्तारिया य केवलिखीणकसायवीतरागचरित्तारिया य। । [१२६ प्र.] क्षीणकषाय-वीतराग-चारित्रार्य किस प्रकार के हैं ?
[१२६ उ.] क्षीणकषाय-वीतराग-चारित्रार्य दो प्रकार के कहे गए हैं—छद्मस्थ-क्षीणकषायवीतराग-चारित्रार्य और केवलि-क्षीणकषाय-वीतराग-चारित्रार्य।