Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 01 Stahanakvasi
Author(s): Shyamacharya, Madhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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प्रथम प्रज्ञापनापद]
[१२१
[१४२-१ प्र.] ज्योतिष्क देव कितने प्रकार के हैं ?
[१४२-१ उ.] ज्योतिष्क देव पांच प्रकार के हैं। यथा-(१) चन्द्र, (२) सूर्य, (३) ग्रह, (४) नक्षत्र और (५) तारे।
[२] ते समासतो दुविहा पण्णत्ता तं जहा-पज्जत्तगा य अपजत्तगा य। से तं जोइसिया।
[१४२-२] वे (उपर्युक्त पांच प्रकार के ज्योतिष्क देव) संक्षेप में दो प्रकार के कहे गए हैंपर्याप्तक और अपर्याप्तक। यह ज्योतिष्क देवों का निरूपण है।
१४३. से किं तं वेमाणिया ? वेमाणिया दुविहा पण्णत्ता। तं जहा-कप्पोवगा य कप्पातीता य। [१४३ प्र.] वैमानिक देव कितने प्रकार के हैं ? [१४३ उ.] वैमानिक देव दो प्रकार के हैं-कल्पोपपन्न और कल्पातीत। १४४. [१] से किं तं कप्पोवगा ?
कप्पोवगा बारसविहा पण्णत्ता। तं जहा-सोहम्मा १ ईसाणा २ सणंकुमारा ३ माहिंदा ४ बंभलोया ५ लंतया ६ सुक्का ७ सहस्सारा ८ आणता ९ पाणता १० आरणा ११ अच्चुता १२।
[१४४-१ प्र.] कल्पोपपन्न कितने प्रकार के हैं ?
[१४४-१ उ.] कल्पोपपन्न देव बारह प्रकार के कहे गए हैं-(१) सौधर्म, (२) ईशान, (३) सनत्कुमार, (४) माहेन्द्र, (५) ब्रह्मलोक, (६) लान्तक, (७) महाशुक्र, (८) सहस्रार, (९) आनत, (१०) प्राणत, (११) आरण और (१२) अच्युत।
[२] ते समासतो दुविहा पण्णत्ता । तं जहा- पजत्तगा य अपज्जत्तगा य। से त्तं कप्पोवगा।
[१४४-२] वे (बारह प्रकार के कल्पोपपन्न देव) संक्षेप में दो प्रकार के कहे गए हैं। यथापर्याप्तक और अपर्याप्तक। यह कल्पोपपन्न देवों की प्ररूपणा हुई।
१४५. से किं तं कप्पातीया ? कप्पातीया दुविहा पण्णत्ता। तं जहा-गेवेजगा य अणुत्तरोववाइया य । [१४५ प्र.] कल्पातीत देव कितने प्रकार के हैं ? [१४५ उ.] कल्पातीत देव दो प्रकार के हैं-ग्रैवेयकवासी और अनुत्तरौपपातिक। १४६. [१] से किं तं गेवेजगा?
गेवेजगा णवविहा पण्णत्ता। तं जहा-हेट्ठिमेहेट्ठिमगेवेजगा १ हेट्ठिममज्झिमगवेजगा २ हेट्ठिमउवरिमगेवेजगा ३ मज्झिमहेट्ठिमगेवेजगा ४ मज्झिममज्झिमगेवेजगा ५ मज्झिमउवरिमगेवेजगा ६ उवरिमहेट्ठिमगेवेजगा ७ उवरिममज्झिमगेवेजगा ८ उवरिमउवरिमगेवेजगा ९।