Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 01 Stahanakvasi
Author(s): Shyamacharya, Madhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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[प्रज्ञापना सूत्र शाखा (साल) का भंग समान दृष्टिगोचर हो, वह शाखा भी अनन्तजीव वाली है। इसी प्रकार की जो अन्य (शाखाएँ) हों, (उन्हें भी अनन्तजीव वाली समझो)॥ ६० ॥ टूटे हुए जिस प्रवाल (कोंपल) का भंग समान दीखे, वह प्रवाल भी अनन्तजीव वाला है। इसी प्रकार के जितने भी अन्य (प्रवाल) हों, (उन्हें अनन्तजीव वाले समझो) ॥ ६१॥ टूटे हुए जिस पत्ते का भंग समान दिखाई दे, वह पत्ता (पत्र) भी अनन्तजीव वाला है। इसी प्रकार जितने भी अन्य पत्र हों, उन्हें अनन्तजीव वाले समझने चाहिए। ६२॥ टूटे हुए जिस फूल (पुष्प) का भंग समान दिखाई दे, वह भी अनन्तजीव वाला है। इसी प्रकार के अन्य जितने भी पुष्प हों, उन्हें अनन्तजीव वाले समझने चाहिए॥ ६३ ॥ जिस टूटे हुए फल का भंग सम दिखाई दे, वह फल भी अनन्तजीव वाला है। इसी प्रकार के अन्य जितने भी फल हों, उन्हें अनन्तजीव वाले समझने चाहिए ॥६४॥ जिस टूटे हुए बीज का भंग समान दिखाई दे, वह बीज भी अनन्तजीव वाला है। इसी प्रकार के अन्य जितने भी बीज हों, उन्हें अनन्तजीव वाले समझने चाहिए ॥६५॥ [४] जस्स मूलस्स भग्गस्स हीरो भंगे पदीसई।
परित्तजीवे उ से मूले, जे यावऽण्णे तहाविहा ॥६६॥ जस्स कंदस्स भग्गस्स हीरो भंगे पदीसई । परित्तजीवे उ से कंदे, जे यावऽण्णे तहाविहा ॥ ६७॥ जस्स खंधस्य भग्गस्स हीरो भंगे पदीसई । परित्तजीवे उ से खंधे, जे यावऽण्णे तहाविहा ॥ ६८॥ जीसे तयाए भग्गाए हीरो भंगे पदीसई । परित्तजीवा तया सा उ, जा यावऽण्णे तहाविहा ॥६९॥ जस्स सालस्स भग्गस्स हीरो भंगे पदीसति । परित्तजीवे उ से साले, जे यावऽण्णे तहाविहा ॥ ७०॥ जस्स पवालस्स भग्गस्स हीरो भंगे पदीसति । परित्तजीवे पवाले से उ, जे यावऽण्णे तहाविहा ॥१॥ जस्स पत्तस्स भग्गस्स हीरो भंगे पदीसति । परित्तजीवे उ से पत्ते, जे यावऽण्णे तहाविहा ॥ ७२॥ जस्स पुप्फस्स भग्गस्स हीरो भंगे पदीसति । परित्तजीवे उ से पुप्फे, जे यावऽण्णे तहाविहा ॥७३॥ जस्स फलस्स भग्गस्स हीरो भंगे पदीसति। परित्तजीवे फले से उ, जे यावरुण्णे तहाविहा ॥ ७४॥ जस्स बीयस्स भग्गस्स हीरो भंगे पदीसति । परित्तजीवे उ से बीए, जे यावऽण्णे तहाविहा ॥ ७५॥