Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 01 Stahanakvasi
Author(s): Shyamacharya, Madhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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[प्रज्ञापना सूत्र [६१ प्र.] वे पंचेन्द्रिय-तिर्यञ्चयोनिक किस प्रकार के हैं ?
[६१ उ.] पंचेन्द्रिय-तिर्यञ्चयोनिक तीन प्रकार के कहे गए हैं। वे इस प्रकार हैं—(१) जलचर पंचेन्द्रिय-तिर्यञ्चयोनिक, (२) स्थलचर-पंचेन्द्रिय-तिर्यञ्चयोनिक और (३) खेचर-पंचेन्द्रियतिर्यञ्चयोनिक।
६२. से किं तं जलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिया ?
जलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिया पंचविहा पण्णत्ता। तं जहा–मच्छा १ कच्छभा २ गाहा ३ मगरा ४ सुंसुमारा ५। _[६२ प्र.] वे जलचर-पंचेन्द्रिय-तिर्यञ्चयोनिक कैसे हैं ?
[६२ उ.] जलचर-पंचेन्द्रिय-तिर्यञ्चयोनिक पांच प्रकार के कहे गए हैं। वे इस प्रकार—(१) मत्स्य, (२) कच्छप, (कछुए), (३) ग्राह, (४) मगर और (५) सुंसुमार।
६३. से किं तं मच्छा ?
मच्छा अणेगविहा पण्णत्ता। तं जहा–सण्हमच्छा खवल्लमच्छा जुगमच्छा तिज्झिडियमच्छा हलिमच्छा मग्गरिमच्छा रोहियमच्छा हलीसागरा गागरा वडा वडगरा। तिमी तिमिगिला णक्का तंदुलमच्छा कणिक्कामच्छा सालिसच्छियामच्छा लंभणमच्छा पडागा पडागातिपडागा, ये यावऽण्णे तहप्पगारा। से तं मच्छा।
[६३ प्र.] वे (पूर्वोक्त) मत्स्य कितने प्रकार के हैं ?
[६३ उ.] मत्स्य अनेक प्रकार के कहे गए हैं। वे इस प्रकार— श्लक्ष्णमत्स्य, खवल्लमत्स्य, युगमत्स्य (जुंगमत्स्य), विझिडिय (विज्झडिय) मत्स्य, हलिमत्स्य, मकरीमत्स्य, रोहितमत्स्य, हलीसागर, गागर, वट, वटकर, (तथा गर्भज उसगार), तिमि, तिमिंगल, नक्र, तन्दुलमत्स्य, कणिक्कामत्स्य, शालिशस्त्रिक मत्स्य, लंभनमत्स्य, पताका और पताकातिपताका। इसी प्रकार के जो भी अन्य प्राणी हैं, वे सब मत्स्यों के अन्तर्गत समझने चाहिए। यह मत्स्यों की प्ररूपणा हुई।
६४. से किं कच्छभा ? कच्छभा दुविहा पण्णत्ता। तं जहा—अट्टिकच्छभा य मंसकच्छभा य। से तं कच्छभा। [६४ प्र.] वे (पूर्वोक्त) कच्छप किस प्रकार के हैं ?
[६४ उ.] कच्छप दो प्रकार के कहे गए हैं। ये इस प्रकार हैं-अस्थिकच्छप (जिनके शरीर में हड्डियां अधिक हों, वे) और मांसकच्छप (जिनके शरीर में मांस की बहुलता हो, वे। इस प्रकार कच्छप की प्ररूपणा पूर्ण हुई।
६५. से किं तं गाहा ?
पाठान्तर- १. जुंगमच्छा।
२. 'गब्भया उसगारा' यह अधिक पाठ है। ३. वेढगा।