Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 01 Stahanakvasi
Author(s): Shyamacharya, Madhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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[ प्रज्ञापना सूत्र
कम्मारिया अणेगविहा पण्णत्ता । तं जहा—दोस्सिया सोत्तिया कप्पासिया सुत्तवेयालिया भंडवेयालिया कोलालिया णरदावणिया, ये यावऽण्णे तहप्पगारा । से त्तं कम्मारिया । [१०५ प्र.] कर्मार्य कौन-कौन से हैं ?
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[१०५ उ.] कर्मार्य अनेक प्रकार के कहे गए हैं। वे इस प्रकार — दोषिक ( दूष्यक), सौत्रिक, कार्पासिक, सूत्रवैतालिक, भाण्डवैतालिक, कौलालिक और नरवाहनिक। इसी प्रकार के अन्य जितने भी ( आर्यकर्म वाले हों, उन्हें कर्मार्य समझना चाहिए)। यह हुई उक्त कर्माय (की प्ररूपणा ) ।
१०६. से किं तं सिप्पारिया ?
सिप्पारिया अणेगविहा पण्णत्ता । तं जहा – तुण्णागा तंतुवाया पट्टागारा देयडा वरणा' छविया कट्ठपाउयारा मुंजपाउयारा छत्तारा वज्झारा पोत्थारा लेप्पारा चित्तारा संखारा दंतारा भंडारा जिज्झगारा' सेल्लगारा कोडिगारा, जे यावऽण्णे तहप्पगारा । से त्तं सिप्पारिया ।
[१०६ प्र.] शिल्पार्य कौन-कौन से हैं ?
[१०६ उ.] शिल्पार्य भी अनेक प्रकार के कहे गए हैं। वे इस प्रकार — तुन्नाक – ( रफ्फूगर ) दर्जी, तन्तुवाय—जुलाहे, पट्टकार (पटवा ), दृतिकार ( चमड़े की मशक बनाने वाले), वरण (या वरुणपिच्छिक-पिंछी बनाने वाले), छर्विक (चटाई आदि बनाने वाले), काष्ठपादुकाकार (लकड़ी की खड़ाऊँ बनाने वाले) मुंजपादुकाकार (मुंज की खड़ाऊँ बनाने वाले), छत्रकार ( छाते बनाने वाले), वज्झारवाह्यकार (वाहन बनाने वाले), (अथवा बहकार — मोरपिच्छी बनाने वाले), पुच्छकार या पुस्तकार (पूंछ के बालों से झाडू आदि बनाने वाले), या पुस्तककार - जिल्दसाज अथवा मिट्टी के पुतले बनाने वाले, लेप्यकार ( लिपाई पुताई करने वाले, अथवा मिट्टी के खिलौने आदि बनाने वाले), चित्रकार, शंखकार, दन्तकार (दांत बनाने वाले, या दांती ), भाण्डकार ( विविध बर्तन बनाने वाले), जिज्झकार (जिह्वाकार=नकली जीभ बनाने वाले), सेल्लकार (शैल्यकार — शिला तथा पाषाण आदि घड़कर वस्तु बनाने वाले अथवा सैलकार — भाला बनाने वाले) और कोडिकार ( कोडियों की माला आदि बनाने वाले), इसी प्रकार के अन्य जितने भी आर्य शिल्पकार हैं, उन सबको शिल्पार्य समझना चाहिए। यह हुई उन शिल्पार्यों की प्ररूपणा ।
१०७. से किं तं भासारिया ?
भासारिया जे णं अद्धमागहाए भासाए भासंति, जत्थ विय णं बंभी लिवी पवत्तई । बंभीए णं लिवीए अट्ठारसविहे लेक्खविहाणे पण्णत्ते । तं जहा - बंभी १ जवणाणिया २ दोसापुरिया ३ खरोट्ठी४ पुक्खरसारिया५ भोगवईया ६ पहराईयाओ य ७ अंतक्खरिया ८ अक्खरपुट्ठिया ९ वेणइया १० णिहइया ११ अंकलिवी १२ गणितलिवी १३ गंधव्वलिवी १४ आयंसलिवी १५ माहेसरी १६ दामिली + १७ पोलिंदी १८ । से त्तं भासारिया ।
पाठान्तर — १. वरुणा, वरुट्टा । २. जिब्भगारा, जिब्भारा। ३. सेल्लारा (शिलावट) । ४. दासापुरिया । ५ दोमिली, दोमिलिवी ।