Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 01 Stahanakvasi
Author(s): Shyamacharya, Madhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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[प्रज्ञापना सूत्र वनस्पतिकायिकों की प्रज्ञापना
३५. से किं तं वणस्सइकाइया ? वणस्सइकाइया दुविहा पण्णत्ता। तं जहा–सुहमवणस्सइकाइया य बादरवणस्सतिकाइया य। [३५ प्र.] वे (पूर्वोक्त) वनस्पतिकायिक जीव कैसे हैं ?
[३५ उ.] वनस्पतिकायिक दो प्रकार के कहे गए हैं। वे इस प्रकार - सूक्ष्म वनस्पतिकायिक और बादर वनस्पतिकायिक।
[३६] से किं तं सुहुमवणस्सइकाइया ?
सुहुमवणस्सइकाइया दुविहा पन्नत्ता। ते जहा- पज्जत्तसुहुमवणस्सकाइया य अपज्जत्तसुहुमवणस्सइकाइया य। से त्तं सुहुमवणस्सइकाइया ।
[३६ प्र.] वे सूक्ष्म वनस्पतिकायिक जीव किस प्रकार के हैं ?
[३६ उ.] सूक्ष्म वनस्पतिकायिक जीव दो प्रकार के कहे गए हैं। वे इस प्रकार - पर्याप्तक सूक्ष्मवनस्पतिकायिक और अपर्याप्तक सूक्ष्मवनस्पतिकायिक। यह हुआ सूक्ष्म वनस्पतिकायिक (का निरूपण)।
३७. से किं तं बादरवणस्सइकाइया ?
बादरवणस्सइकाइया दुविहा पण्णत्ता। तं जहा–पत्तेयसरीरबादरवणप्फइकाइया य साहारणसरीरबादरवणप्फइकाइया य।
[३७ प्र.] अब प्रश्न है— बादर वनस्पतिकायिक कैसे हैं ?
[३७ उ.] बादर वनस्पतिकायिक दो प्रकार के कहे गए हैं। वे इस प्रकार - प्रत्येक शरीर बादरवनस्पतिकायिक और साधारणशरीर बादरवनस्पतिकायिक ।
३८. से किं तं पत्तेयसरीरबादरवणप्फइकाइया ? पत्तेयसरीरबादरवणप्फइकाइया दुवालसविहा पन्नत्ता। तं जहारुक्खा १ गुच्छा २ गुम्मा ३ लता य ४ वल्ली य ५ पव्वगा चेव ६।। तण ७ वलय ८ हरिय ९ ओसहि १० जलरुह ११ कुहणा य १२ बोद्धव्वा ॥१२॥ [३८ प्र.] वे प्रत्येक शरीर-बादरवनस्पतिकायिक जीव किस प्रकार के हैं ?
[३८ उ.] प्रत्येक शरीर बादरवनस्पतिकायिक जीव बारह प्रकार के कहे गए हैं। वे इस प्रकार से हैं – (१) वृक्ष (आम, नीम आदि), (२) गुच्छ (बैंगन आदि के पौधे), (३) गुल्म (नवमालिका आदि), (४) लता (चम्पकलता आदि), (५) वल्ली (कूष्माण्डी त्रपुषी आदि बेलें), (६) पर्वग (इक्षु आदि पर्व-पोर-गांठ वाली वनस्पति), (७)तृण (कुश, कास, दूब आदि हरी घास), (८) वलय (जिनकी छाल वलय के आकार की गोल होती है, ऐसे केतकी, कदली आदि), (९) हरित (बथुआ आदि हरी