Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 01 Stahanakvasi
Author(s): Shyamacharya, Madhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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[प्रज्ञापना सूत्र ४३. से किं तं गुम्मा ? गुम्मा अणेगविहा पण्णत्ता। तं जहा -
सेरियए' णोमालिय कोरंटय बंधुजीवग मणोज्जे। पीईय पाण कणइर कुज्जय तह सिंदुवारे य॥२४॥ जाई मोग्गर तह जूहिया य तह मल्लिया य वासंती। वत्थुल कच्छुलं सेवाल गंठि मगदंतिया चेव॥ २५॥ चंपगजीती णवणीइया य कंदो तहा महाजाई।
एवमणेगागारा हवंति गुम्मा मुणेयव्वा ॥ २६॥ से तं गुम्मा। [४३ प्र.] वे (पूर्वोक्त) गुल्म किस प्रकार के हैं ?
[४३ उ.] गुल्म अनेक प्रकार के कहे गए हैं। वे इस प्रकार हैं-से रितक (सेनतक), नवमालती, कोरण्टक, बन्धुजीवक, मनोद्य, पीतिक (पितिक), पान, कनेर (कर्णिकार), कुर्जक (कुंजक), तथा सिन्दुवार ॥ २४५ ॥ जाती (जाई), मोगरा, जूही (यूथिका), तथा मल्लिका और वासन्ती, वस्तुल, कच्छुल (कस्थुल), शैवाल, ग्रंथि एवं मृगदन्तिका ॥ २५ ॥ चम्पक जीती, नवनीतिका, कुन्द तथा महाजाति; इस प्रकार अनेक आकार-प्रकार के होते हैं (उन सबको) गुल्म समझना चाहिए ॥ २६ ॥ यह हुई गुल्मों की प्ररूपणा।
४४. से किं तं लयाओ? लयाओ अणेगविहाओ पण्णत्ताओ। तं जहा
पउमलता नागलता असोग-चंपयलता य चूतलता। वणलय वासंतिलया अइमुत्तय-कुंद-सामलता॥ २७॥
ये यावऽण्णे तहप्पगारा। से त्तं लयाओ। [४४ प्र.] वे (पूर्वोक्त) लताएँ किस प्रकार की होती हैं ?
[४४ उ.] लताएँ अनेक प्रकार की कही गई हैं। यथा - पद्मलता, नागलता, अशोकलता, चम्पकलता, और चूतलता, वनलता, वासन्तीलता, अतिमुक्तलता और श्यामलता॥ २७॥
और जितनी भी इस प्रकार की हैं, (उन्हें लता समझना चाहिए।) यह हुआ उन लताओं का वर्णन। ४५. से किं तं वल्लीओ? वल्लीओ अणेगविहाओ पण्णत्ताओ। तं जहा
पूसफली कालिंगी तूंबी तउसी य एलवालुंकी।
घोसाडई पडोला पंचंगुलिया य णालीया ॥ २८॥ पाठान्तर - १. सेणयए। २. कत्थुल। ३. णीइया। ४. घोसाडइ पंडोला, घोसाई य पडोला। ५. आयणीली य।