Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 01 Stahanakvasi
Author(s): Shyamacharya, Madhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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६३९-६६५ (पंचम कुतोद्वार) चातुर्गतिक जीवों की पूर्वभवों से उत्पत्ति (आगति) की प्ररूपणा ४८२ ६६६-६७६ (छठा उद्वर्तना द्वार) चातुर्गतिक जीवों के उदवर्तनानन्तर गमन एवं उत्पाद की प्ररूपणा
५०५ ६७७-६८३ (सप्तम पारभविकायुष्य द्वार) चातुर्गतिक जीवों की पारभविकायुष्य सम्बन्धी प्ररूपणा ५१२ ६८४-६९२ (अष्टम आकर्षद्वार) सर्व जीवों के षड्विध आयुष्यबन्ध, उनके आकर्षों की संख्या और अल्प-बहुत्व
सप्तम उच्छ्वासपद प्राथमिक ६९३ नैरयिकों में उच्छ्वास-निश्वासकाल-निरूपण ६९४-६१६ भवनवासी देवों में उच्छ्वास-विरहकाल-प्ररूपणा
५२० ६९७-६९८ एकेन्द्रिय से लेकर मनुष्य पर्यन्त उच्छ्वास-विरहकाल-निरूपण ६९९ वाणव्यन्तर देवों में उच्छ्वास-विरहकाल-प्ररूपणा ७०० ज्योतिष्क देवों में उच्छ्वास-विरहकाल-प्ररूपणा
५२१ ७०१-७२४ वैमानिक देवों में उच्छ्वास-विरहकाल-प्ररूपणा (आणमंति, पाणमंति आदि पदों की व्याख्या)
अष्टम संज्ञापद प्राथमिक
५२९ ७२५ संज्ञाओं के दस प्रकार
(संज्ञा की शास्त्रीय परिभाषा) ७२६-७२९ नैरयिकों से वैमानिकों तक (२४ दण्डकों में) संज्ञा की सद्भाव-प्ररूपणा ५३१ ७३०-७३१ नारकों में संज्ञाओं का विचार (अल्प-बहुत्व)
५३२ ७३२-७३३ तिर्यंचों में संज्ञाओं का विचार (अल्प-बहुत्व)
५३४ ७३४-७३५ मनुष्यों में संज्ञाओं का विचार (अल्प-बहुत्व)
५३५ ७३६-७३७ देवों में संज्ञाओं का विचार (अल्प-बहुत्व)
५३५ नवम योनिपद प्राथमिक ७३८ शीतादि त्रिविध योनियों की नारकादि में प्ररूपणा
५३९ ७३९-७५२ चौबीस दण्डकों में शीतादि योनियों की प्ररूपणा ।
५३९ ७५३ जीवों में शीतादि योनियों में अल्प-बहुत्व
५४१ ७५४-७६२ नैरयिकादि जीवों में सचित्तादि त्रिविध योनियों की प्ररूपणा
५४३ ७६३ सचित्तादि त्रिविधयोनिक जीवों का अल्प-बहुत्व कथन
५४४ ७६४-७७२ सर्वजीवों में संवृत्तादि त्रिविध योनियों की प्ररूपणा ७७३ मनुष्यों की विविध विशिष्ट योनियां
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