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________________ ५१९ ५२० ५२१ ५२१ ६३९-६६५ (पंचम कुतोद्वार) चातुर्गतिक जीवों की पूर्वभवों से उत्पत्ति (आगति) की प्ररूपणा ४८२ ६६६-६७६ (छठा उद्वर्तना द्वार) चातुर्गतिक जीवों के उदवर्तनानन्तर गमन एवं उत्पाद की प्ररूपणा ५०५ ६७७-६८३ (सप्तम पारभविकायुष्य द्वार) चातुर्गतिक जीवों की पारभविकायुष्य सम्बन्धी प्ररूपणा ५१२ ६८४-६९२ (अष्टम आकर्षद्वार) सर्व जीवों के षड्विध आयुष्यबन्ध, उनके आकर्षों की संख्या और अल्प-बहुत्व सप्तम उच्छ्वासपद प्राथमिक ६९३ नैरयिकों में उच्छ्वास-निश्वासकाल-निरूपण ६९४-६१६ भवनवासी देवों में उच्छ्वास-विरहकाल-प्ररूपणा ५२० ६९७-६९८ एकेन्द्रिय से लेकर मनुष्य पर्यन्त उच्छ्वास-विरहकाल-निरूपण ६९९ वाणव्यन्तर देवों में उच्छ्वास-विरहकाल-प्ररूपणा ७०० ज्योतिष्क देवों में उच्छ्वास-विरहकाल-प्ररूपणा ५२१ ७०१-७२४ वैमानिक देवों में उच्छ्वास-विरहकाल-प्ररूपणा (आणमंति, पाणमंति आदि पदों की व्याख्या) अष्टम संज्ञापद प्राथमिक ५२९ ७२५ संज्ञाओं के दस प्रकार (संज्ञा की शास्त्रीय परिभाषा) ७२६-७२९ नैरयिकों से वैमानिकों तक (२४ दण्डकों में) संज्ञा की सद्भाव-प्ररूपणा ५३१ ७३०-७३१ नारकों में संज्ञाओं का विचार (अल्प-बहुत्व) ५३२ ७३२-७३३ तिर्यंचों में संज्ञाओं का विचार (अल्प-बहुत्व) ५३४ ७३४-७३५ मनुष्यों में संज्ञाओं का विचार (अल्प-बहुत्व) ५३५ ७३६-७३७ देवों में संज्ञाओं का विचार (अल्प-बहुत्व) ५३५ नवम योनिपद प्राथमिक ७३८ शीतादि त्रिविध योनियों की नारकादि में प्ररूपणा ५३९ ७३९-७५२ चौबीस दण्डकों में शीतादि योनियों की प्ररूपणा । ५३९ ७५३ जीवों में शीतादि योनियों में अल्प-बहुत्व ५४१ ७५४-७६२ नैरयिकादि जीवों में सचित्तादि त्रिविध योनियों की प्ररूपणा ५४३ ७६३ सचित्तादि त्रिविधयोनिक जीवों का अल्प-बहुत्व कथन ५४४ ७६४-७७२ सर्वजीवों में संवृत्तादि त्रिविध योनियों की प्ररूपणा ७७३ मनुष्यों की विविध विशिष्ट योनियां ५४८ ५३० ५३७ [९७ ]
SR No.003456
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 01 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorShyamacharya
AuthorMadhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1983
Total Pages572
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_pragyapana
File Size12 MB
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