Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 01 Stahanakvasi
Author(s): Shyamacharya, Madhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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२६८ संज्ञी आदि की दृष्टि से जीवों का अल्प-बहुत्व
भवसिद्धिकद्वार के माध्यम से जीवों का अल्प-बहुत्व २७०-२७३ अस्तिकायद्वार के माध्यम से षड्द्रव्य का अल्प-बहुत्व २७४ चरम और अचरम जीवों का अल्प-बहुत्व २७५
जीवादि का अल्प-बहुत्व २७६-३२४ क्षेत्र की अपेक्षा से ऊर्ध्वलोकादिगत विविध जीवों का अल्प-बहुत्व ३२५ आयुष्यकर्म के बन्धक-अबन्धक आदि जीवों का अल्प-बहुत्व ३२६-३३३ पुद्गल द्रव्यों आदि का द्रव्यादि विविध अपेक्षाओं से अल्प-बहुत्व ३३४ विभिन्न विवक्षाओं से सर्व जीवों के अल्प-बहुत्व का निरूपण
चतुर्थ स्थितिपद प्राथमिक ३३५-३४२ नैरयिकों की स्थिति प्रज्ञापना ३४३-३४४ देवों और देवियों की स्थिति की प्ररूपणा ३४५-३५३ भवनवासियों की स्थिति-प्ररूपणा ३५४-३६५ एकेन्द्रिय जीवों की स्थिति-प्ररूपणा ३६६-३६८ वनस्पतिकायिक जीवों की स्थिति-प्ररूपणा ३६९ द्वीन्द्रिय जीवों की स्थिति-प्ररूपणा ३७० त्रीन्द्रिय जीवों की स्थिति-प्ररूपणा ३७१ चतुरिन्द्रिय जीवों की स्थिति-प्ररूपणा ३७२-३८९ पंचेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक जीवों की स्थिति-प्ररूपणा ३९०-३९२ मनुष्यों की स्थिति-प्ररूपणा ३९३-३९४ वाणव्यन्तर देवों की स्थिति-प्ररूपणा ३९५-४०६ ज्योतिष्क देवों की स्थिति-प्ररूपणा ४०७-४३७ वैमानिक देवों की स्थिति-प्ररूपणा
पंचम विशेषपद (पर्यायपद) प्राथमिक (पर्याय के अर्थ, अन्य दर्शनों के साथ सैद्धान्तिक तुलना) पर्यायों के प्रकार
जीवपर्याय का निरूपण ४४० नैरयिकों के अनन्त पर्याय : क्यों और कैसे ?
(षट्स्थानपतितत्व का स्वरूप) ४४२ असुरकुमार आदि भवनवासी देवों के अनन्त पर्याय
३२८ ३३४ ३३५ ३३५
३३६
३४६ ३४७ ३४८ ३५५ ३७३
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४३८ ४३९
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